1965 के युद्ध की हीरक जयंती पर शहीदों को किया याद, गवर्नर गुलाबचंद कटारिया रहे मुख्य अतिथि

कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। राज्यपाल कटारिया ने कहा कि सेना ने न केवल देश की संप्रभुता की रक्षा की है, बल्कि भारत की गौरवशाली विरासत को भी संजोया है।
वज्र कोर के गोल्डन एरो डिवीजन ने मंगलवार को पंजाब के असल उत्तर में 1965 के भारत-पाक युद्ध की हीरक जयंती पूरे सम्मान और गौरव के साथ मनाई। पैटन टैंकों की कब्रगाह के रूप में विख्यात यह ऐतिहासिक युद्धक्षेत्र एक बार फिर राष्ट्रीय स्मृति और गौरव का केंद्र बन गया।
राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया इस समारोह में बताैर मुख्य अतिथि माैजूद थे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, युद्ध के पूर्व सैनिक, वीर नारियां, प्रशासनिक गणमान्य व्यक्ति, छात्र और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।
इस समारोह में उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई जिनके अटूट साहस और सर्वोच्च बलिदान ने असल उत्तर और बर्की की लड़ाई में 1965 के युद्ध की दिशा बदल दी और भारत को विजय दिलाई।
कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) को विशेष श्रद्धांजलि दी गई। राज्यपाल कटारिया ने कहा कि सेना ने न केवल देश की संप्रभुता की रक्षा की है, बल्कि भारत की गौरवशाली विरासत को भी संजोया है। उन्होंने अभिलेखागार-सह-संग्रहालय और हमीद गैलरी के उद्घाटन को 1965 के शौर्य को अमर करने वाला कदम बताया और कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा और प्रेरणा का स्रोत बनेगा। उन्होंने सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने और नागरिकों को वीरों की भूमि से जोड़ने की पहल के लिए सेना और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास की भी सराहना की।





