क्यों हमारा दिमाग छोटी-मोटी बातें याद रखता है, लेकिन जरूरी बातों को भूल जाता है?

आपके साथ भी ऐसा हुआ होगा कि कोई बात आपको बहुत जरूरी लगी हो लेकिन कुछ समय बाद याद नहीं रहती। वहीं कोई पुरानी याद आज भी दिमाग में ताजा बनी हुई है। दरअसल यह काफी नॉर्मल है और ऐसा सभी के साथ होता है। लेकिन सवाल आता है कि ऐसा होता क्यों है? आइए जानें इसका जवाब।

हम सभी के साथ ऐसा होता है कि कुछ घटनाएं जरा-सी भी कोशिश किए बिना हमारी यादों में ताजा बनी रहती हैं, जबकि कई बातें चाहे कितनी भी जरूरी क्यों न हों, धीरे-धीरे धुंधली पड़ जाती हैं। सवाल यह है कि दिमाग आखिर यह कैसे तय करता है कि कौन-सी यादें संभालनी हैं और कौन-सी भुला देनी हैं?

ऐसा क्यों होता है ये समझने के लिए बोस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक स्टडी की, जो साइंस एडवांस जर्नल में पब्लिश हुई है। आइए जानें इस स्टडी में क्या पता चला और किन वजहों से दिमाग कुछ बातों को आसानी से याद रख लेता है, वहीं कुछ बातों को हम चाहकर भी ठीक से याद नहीं कर पाते हैं।

क्यों सभी बातें नहीं रहती याद?
इस स्टडी में हिस्सा लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी याददाश्त कोई कैमरा नहीं है जो हर चीज को समान रूप से रिकॉर्ड कर ले। बल्कि दिमाग खुद तय करता है कि कौन-सी घटनाएं जरूरी हैं और उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखना है। खास बात यह है कि साधारण-सी घटनाएं भी तभी याद रह जाती हैं जब वे किसी इमोशनल या चौंकाने वाली घटना से जुड़ जाती हैं।

जैसे मान लीजिए आप टीवी पर लॉटरी के नंबर देख रहे हैं और अचानक पता चलता है कि आपने बड़ा इनाम जीत लिया है। उस पल की खुशी तो याद रहेगी ही, लेकिन उसके कुछ समय पहले आप क्या कर रहे थे- भले ही वह मामूली बात रही हो- वह भी लंबे समय तक याद रह सकती है।

दिमाग करता है मेमोरी सेलेक्ट
प्रोफेसर रॉबर्ट एम. जी. राइनहार्ट बताते हैं कि यादें बनना एक एक्टिव प्रोसेस है, जिसमें हमारा दिमाग यह फैसला लेता है कि कौन-सी जानकारी मायने रखती है। जब कोई इमोशनल या अहम घटना घटती है, तो वह हमारे दिमाग को “कमजोर यादों” को भी स्थायी बनाने में मदद करती है।

यादें कैसे चुनता है दिमाग?
स्टडी में यह भी सामने आया कि दिमाग यादों को “ग्रेडिंग स्केल” पर परखता है। अगर कोई जरूरी घटना घटती है, तो उसके तुरंत बाद होने वाली बातें उसी घटना की भावनात्मक ताकत के हिसाब से याद रहती हैं। वहीं घटना से पहले की बातें तब याद रहती हैं, जब उनका उस घटना से कोई समानता या संबंध हो।

दिलचस्प बात यह भी है कि अगर दूसरी यादें खुद बहुत भावनात्मक हों, तो दिमाग उन्हें उतनी अहमियत नहीं देता। यानी दिमाग उन कमजोर यादों को बचाता है, जो आसानी से भुला दी जातीं।

तो अब आप समझ गए हैं कि क्यों मामूली लगने वाली कई छोटी बातें हमें याद रहती हैं, लेकिन जरूरी बातें हम भूल जाते हैं। हमारा दिमाग वही यादें सुरक्षित रखता है जो इमोशनल, महत्वपूर्ण या किसी खास पल से जुड़ी होती हैं। साधारण-सी बातें भी तभी दिमाग में स्टोर होती हैं, जब वे बड़े अनुभवों के साथ जुड़ जाती हैं। यही कारण है कि कुछ यादें हमेशा दिलो-दिमाग में जिंदा रहती हैं, जबकि बाकी समय के साथ मिट जाती हैं।

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