जयपुर: जेके लोन में दुर्लभ हड्डी रोग ‘ऑस्टियो जेनेसिस इम्परफेक्टा’ का सफल इलाज

राजस्थान जयपुर के सरकारी अस्पताल जेके लोन अस्पताल में एक अत्यंत दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी ऑस्टियो जेनेसिस इम्परफेक्टा का सफल इलाज किया गया है। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि दुनिया में हर 15 से 20 हजार बच्चों में से केवल एक में पाई जाती है। इस बीमारी में हड्डियां बेहद कमजोर होती हैं और हल्की चोट या दबाव में भी टूट जाती हैं।
जेके लोन अस्पताल के डिपार्टमेंट ऑफ मेडिकल जेनेटिक्स के इंचार्ज और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रियांशु माथुर के अनुसार, हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया जिसमें एक बच्चे की हड्डियां बार-बार टूट रही थीं। परिजनों ने कई अस्पतालों में इलाज कराया लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। जेके लोन पहुंचने पर जब मेडिकल जेनेटिक्स विभाग में जांच की गई, तब यह सामने आया कि बच्चा ऑस्टियो जेनेसिस इम्परफेक्टा नामक बीमारी से पीड़ित है।
क्या होती है ये बीमारी?
डॉ. माथुर बताते हैं कि इस बीमारी का मुख्य कारण शरीर में कोलेजन प्रोटीन की कमी या उसमें दोष होना है। कोलेजन हड्डियों को मजबूती देता है, और इसके खराब होने से हड्डियाँ भुरभुरी हो जाती हैं। यह रोग पूरी तरह से अनुवांशिक होता है और माता-पिता से बच्चों में आता है। कई मामलों में यह बीमारी जन्म के समय ही स्पष्ट हो जाती है, जबकि कुछ मामलों में बच्चे बड़े होने पर इसके लक्षण दिखाते हैं।
लक्षणों में शामिल हैं:
बार-बार हड्डियों का टूटना, वह भी बिना चोट के
आंखों की सफेद भाग का नीला होना
छोटे कद और कमजोर मांसपेशियाँ
रीढ़ की हड्डी का टेढ़ापन
दांतों का कमजोर होना
सुनने की क्षमता में कमी
इलाज है आसान और सस्ता
डॉ. माथुर का कहना है कि अब तक जेके लोन अस्पताल में इस बीमारी के 8 मरीज सामने आ चुके हैं। हाल ही में जो बच्चा भर्ती हुआ था, वह काफी गंभीर अवस्था में था — चलने-फिरने या हल्के से दबाव पर भी उसकी हड्डियाँ टूट जाती थीं। लेकिन सही समय पर बीमारी का पता चलने और इलाज शुरू होने के बाद अब वह बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है और पिछले 6 महीनों में एक भी फ्रैक्चर नहीं हुआ है। इस बीमारी में इस्तेमाल होने वाली दवा की कीमत केवल 2-3 हजार रुपये है और इसे हर छह महीने में इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है। यह इलाज जेके लोन अस्पताल में बेहद सस्ती दरों पर उपलब्ध है।डॉ. माथुर का कहना है कि यह बीमारी भले ही दुर्लभ हो, लेकिन इसका इलाज आसान और किफायती है। कई बार जानकारी के अभाव में परिजन अनावश्यक खर्च करते रहते हैं और वर्षों तक सही इलाज नहीं मिल पाता।