महिला सैन्य अधिकारियों ने स्थायी कमीशन देने में लगाया भेदभाव का आरोप, ऑपरेशन सिंदूर में ले चुकीं हैं हिस्सा

शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गलवन बालाकोट और हालिया ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लेने के बावजूद स्थायी कमीशन देने में उनके साथ पुरुष समकक्षों की तुलना में भेदभाव किया गया। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की है। जब केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी जवाब देंगी।

शार्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला सैन्य अधिकारियों ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गलवन, बालाकोट और हालिया ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में भाग लेने के बावजूद स्थायी कमीशन देने में उनके साथ पुरुष समकक्षों की तुलना में भेदभाव किया गया।

कहा, केंद्र ने 2020 व 2021 के शीर्ष अदालत के आदेश का बार-बार किया उल्लंघन
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस उज्जल भुइयां और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ को कुछ सेवारत और सेवामुक्त महिला अधिकारियों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता वी. मोहना ने पीठ से कहा, ‘केंद्र सरकार ने 2020 और 2021 में जारी आदेश का बार-बार उल्लंघन किया है और महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में भेदभाव किया है।’

मोहना ने कहा कि केंद्र ने स्थायी कमीशन में महिला अधिकारियों की कम संख्या के लिए रिक्तियों की कमी को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन 2021 के बाद ऐसे कई मौके आए हैं जब 250 अधिकारियों की सीमा का उल्लंघन किया गया।

उन्होंने कहा, ‘ये अधिकारी बहुत प्रतिभाशाली हैं और उन्होंने गलवन, बालाकोट व हालिया ऑपरेशन सिंदूर जैसे महत्वपूर्ण अभियानों में भी अपने दायित्वों को अच्छी तरह निभाया है। इसके अलावा उन्होंने कई प्रतिकूल क्षेत्रों में अपने पुरुष समकक्षों के बराबर सेवाएं दी हैं।’

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की
स्थायी कमीशन से इनकार को चुनौती देने वाली अन्य महिला अधिकारियों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा, वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव मुखर्जी, वरिष्ठ अधिवक्ता रेखा पल्ली और अन्य वकीलों ने किया। महिला अधिकारियों की ओर से दलीलें पूरी हो गईं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 24 सितंबर को तय की है, जब केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी जवाब देंगी।

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