90s के इस सुपरहिट शो का नाम ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में है दर्ज

90 के दशक में यूं तो कई टीवी सीरियल्स आए लेकिन एक शो ने घर-घर में ऐसी लोकप्रियता हासिल की थी कि लोग एक-एक हफ्ते में लाखों चिट्ठियां भेजने पर मजबूर हो जाते थे। डाक विभाग परेशान हो गया था। इस शो की लोकप्रियता ही थी जिसने इसे लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल कर दिया था। जानिए इस शो के बारे में।
90 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कई शो ऐसे थे जिन्होंने दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई। इन्हीं में एक ऐसा शो शामिल था जो उस वक्त का लॉन्गेस्ट रनिंग टेलीविजन सीरियल बन गया था। शो की लोकप्रियता का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि एक हफ्ते में इसे 14 लाख पोस्टकार्ड्स मिलने लगे थे।
डाक विभाग के तो सिर में दर्द हो गया था। पोस्टकार्ड्स खत्म हो गए थे और लोगों ने इतने पोस्टकार्ड्स भेज दिए थे कि डाक विभाग उन्हें शो में भेज ही नहीं पा रहा था और साफ-साफ बोल दिया था कि आइए और इसे ले जाइए। करीब एक दशक तक इस शो ने टीवी पर राज किया। हम जिस शो की बात कर रहे हैं, वो है 90 दशक का सुपरहिट शो सुरभि (Surabhi Show)।
रेणुका शहाणे-सिद्धार्थ काक ने किया था होस्ट
यह शो न केवल मनोरंजन का साधन था, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और कला को भी लोगों तक पहुंचाने का एक जरिया था। कल्चरल शो सुरभि को मशहूर अभिनेत्री रेणुका शहाणे (Renuka Shahane) और सिद्धार्थ काक (Siddharth Kak) ने होस्ट किया था। उनकी होस्टिंग की खास बात यह थी कि वे शो में जमीन पर पालथी मारकर बैठते और शो को होस्ट करते।
भारतीय संस्कृति से सजा था शो
सुरभि की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यह सिर्फ एक टीवी शो नहीं था, बल्कि यह एक सांस्कृतिक आंदोलन था। शो में भारत के विभिन्न राज्यों की लोक कला, संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों को दिखाया जाता था। हर एपिसोड में देश के किसी न किसी कोने से एक नई कहानी, एक नई कला और एक नई संस्कृति को दर्शाया जाता था, जिससे दर्शक अपने देश की विविधता से रूबरू हो पाते थे।
एक हफ्ते में भेजे गए थे 14 लाख पोस्टकार्ड्स
सुरभि ने दर्शकों के साथ एक ऐसा रिश्ता बनाया जो आज के डिजिटल युग में भी संभव नहीं है। शो का एक सेगमेंट सुरभि मेल था, जिसमें दर्शक अपने पत्र भेजकर शो का हिस्सा बन सकते थे। रेणुका उनसे एक सवाल पूछती जिसका जवाब देने के लिए दर्शक पोस्टकार्ड्स के जरिए अपना जवाब देते थे। शुरू में यह संख्या 100-200 और हजारों तक सीमित थी। मगर एक बार यह संख्या 14 लाख पहुंच गई। तब शो के टीम इसे टैम्पो में भरकर लेकर आए थे। उस वक्त पोस्टकार्ड्स की कीमत 15 पैसे हुआ करती थी।
डाक विभाग ने बढ़ा दी थी फीस
एक हफ्ते में 14 लाख पोस्टकार्ड्स पाने के चलते ये शो लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज हो गया था। आलम यह था कि डाक विभाग को इसके लिए अलग से पोस्टकार्ड (कॉम्पटीशन पोस्टकार्ड) शुरू करना पड़ा जिसकी कीमत 2 रुपये थी। इसकी कीमत इसलिए बढ़ाई गई थी ताकि कम लोग पोस्टकार्ड्स भेजे। मगर ऐसा कहां मुमकिन था। यह शो 10 साल तक चलने वाला पहला लॉन्गेस्ट रनिंग कल्चरल शो था। पहले यह दूरदर्शन पर टेलीकास्ट हुआ और फिर 2000 के दशक में यह स्टार प्लस (Star Plus) पर प्रसारित होने लगा था।