नेपाल में फौरी राहत के साथ बढ़ाया गया कर्फ्यू, जानें अंतरिम सरकार पर क्या बोले प्रदर्शनकारी

नेपाल में हिंसा और राजनीतिक उथल-पुथल के बीच शुक्रवार तक कर्फ्यू बढ़ा दिया गया है। सेना सड़कों पर तैनात है और तोड़फोड़ या आगजनी पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। अब तक 30 लोगों की मौत और 1,000 से अधिक घायल हो चुके हैं, जबकि 7,000 कैदी जेलों से फरार हुए हैं। इसी बीच वहां के लोगों ने अंतरिम सरकार को लेकर भी अपनी बात रखी।
नेपाल में दो दिन की हिंसा के बाद शुक्रवार तक कर्फ्यू बढ़ा दिया गया है. अब शाम पांच बजे से सुबह छह बजे तक कर्फ्यू लागू रहेगा. फौरी राहत के लिए सुबह और शाम, दो-दो घंटे की ढील दी गई है. इस दौरान लोगों को सिर्फ जरूरी काम के लिए ही बाहर निकलने की अनुमति है.
इसके बाद दिन और रात का कर्फ्यू सख्ती से लागू रहेगा। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हालात धीरे-धीरे सामान्य होते दिख रहे हैं। कर्फ्यू में ढील मिलते ही लोग बाजारों और दुकानों पर आवश्यक सामान खरीदने के लिए दौड़ पड़े। हालांकि, सड़कों पर गाड़ियां बेहद कम दिखीं और कई स्थानों पर हाल की हिंसा के निशान साफ नजर आए।
चप्पे-चप्पे पर सेना का सख्त पहरा
नेपाल सेना बुधवार शाम से ही सड़कों पर तैनात है। सेना ने चेतावनी दी है कि किसी भी तरह का प्रदर्शन, आगजनी या तोड़फोड़ को आपराधिक कृत्य माना जाएगा और कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सेना ने देश में सुरक्षा की कमान अपने हाथ में ले ली है।
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, रविवार से शुरू हुई हिंसा में अब तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। कुल 1,061 लोग घायल हुए, जिनमें से 719 को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है जबकि 274 का इलाज जारी है। हिंसा के दौरान देशभर की कई जेलों से 7,000 से अधिक कैदी भाग निकले।
अंतरिम सरकार पर क्या बोले प्रदर्शनकारी?
नेपाल में जारी राजनीतिक अस्थिरता के बीच प्रदर्शनकारी अंतरिम सरकार के नेतृत्व को लेकर अलग-अलग राय रख रहे हैं। कई प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू के मेयर बालेन्द्र शाह (बालेन) को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग की है। उनका कहना है कि पुरानी राजनीतिक जमातों से छुटकारा पाकर ही देश के लिए ईमानदार नेतृत्व तैयार हो सकता है।
हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि देश चलाना आसान काम नहीं है। ऐसे में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुषिला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि कार्की के पास देश को संभालने और प्रशासनिक प्रबंधन का अनुभव है, जो इस कठिन समय में बेहद जरूरी है।
इसी बीच, एक अन्य प्रदर्शनकारी ने ये भी बताया कि बालेन्द्र शाह (बालेन) ने खुद भी कार्की का समर्थन किया है क्योंकि वह उनसे वरिष्ठ हैं। उन्होंने कहा कि शाह ने स्वीकार किया है कि वह अभी इस जिम्मेदारी के लिए तैयार नहीं हैं। बावजूद इसके, बड़ी संख्या में लोग शाह को ही प्रधानमंत्री देखना चाहते हैं।
जेल से भागने की कोशिश में फायरिंग
गुरुवार सुबह रामेछाप जिला जेल से सामूहिक भागने की कोशिश के दौरान सेना ने फायरिंग की। इसमें दो कैदियों की मौत हो गई और एक दर्जन से ज्यादा घायल हो गए। बुधवार को पश्चिमी नेपाल की एक जेल में झड़प में पांच किशोर कैदियों की मौत हो चुकी है।