ये 6 आदतें हैं जापानी कपल्स की खुशहाली का सीक्रेट?

जापानी लाइफस्टाइल में इंटरनल वैल्यूज को अपनाकर शादीशुदा जीवन को ज्यादा पॉजिटिव और बैलेंस्ड बनाया जा सकता है। ऐसे में कुछ जापानी टिप्स जैसे कि ‘आईची’ का अर्थ है बिना शर्त प्रेम देनावहीं बेहतर रिश्तों के लिए संवाद और समझ जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ और तरीकों के बारे में।
शादीशुदा जीवन को खुशहाल बनाए रखना केवल एक-दूसरे से प्यार करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें पेशेंस, रिस्पेक्ट, समझदारी और आभार जैसी भावनाएं भी शामिल होती हैं। जापानी संस्कृति में रिश्तों को निभाने का तरीका अत्यंत गहराई और सादगी से भरा होता है।
वहां के लोग जीवन के हर पहलू में बैलेंस और सामंजस्य बनाए रखते हैं। इनकी जीवनशैली से प्रेरित होकर हम भी अपने वैवाहिक जीवन को और अधिक संतुलित और सुखद बना सकते हैं। तो आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ जापानी वैल्यूज के बारे में जो शादीशुदा जीवन को मजबूत और प्रेमपूर्ण बना सकते हैं
आइची (बिना शर्त प्रेम देना)
‘आइची’ जापानी भाषा में उस प्रेम को कहा जाता है, जो पूरी तरह निस्वार्थ होता है। जब हम अपने जीवनसाथी को उसकी खूबियों और कमजोरियों के साथ स्वीकार करते हैं, तब प्रेम सच्चा और गहरा बनता है।बिना किसी चाहत के दिया गया प्रेम ही वैवाहिक जीवन की नींव होता है।
ऐमाई को अभ्यास में लाएं
‘ऐमाई’ का अर्थ होता है अस्पष्टता को सहजता से अपनाना। हर बात में साफ-साफ जवाब या तर्क की आवश्यकता नहीं होती। कभी-कभी चुप रहकर परिस्थिति को समय देना, रिश्ते में शांति बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है।
गमन को अपनाएं (धैर्य और सहनशीलता)
‘गमन’ का मतलब है कठिनाइयों में भी शांति और सहनशीलता बनाए रखना। वैवाहिक जीवन में कई बार मतभेद होते हैं, ऐसे में धैर्य से काम लेना रिश्ते को टूटने नहीं देता, बल्कि उसे और मजबूत बनाता है।
“वा” – सद्भाव की भावना को अपनाएं
‘वा’ जापानी संस्कृति में सामंजस्य और सौहार्द का प्रतीक है। अपने जीवनसाथी के साथ तालमेल बैठाकर, बिना हावी होने की भावना के, एक-दूसरे को स्पेस देना और एक साथ निर्णय लेना सुखद वैवाहिक जीवन का रास्ता है।
‘इतादाकिमासु’- आभार की भावना
‘इतादाकिमासु’ का अर्थ है धन्यवाद या कृतज्ञता प्रकट करना। हर छोटी-बड़ी बात जैसे खाने, सहयोग या भावनात्मक समर्थन के लिए आभार जताना रिश्ते में गहराई और विनम्रता लाता है।
मां का सम्मान करें
जापानी संस्कृति में मां को विशेष स्थान प्राप्त है। अपनी मां और सास का सम्मान करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि परिवार में सद्भाव बनाए रखने का एक सुंदर तरीका है। इससे पारिवारिक रिश्तों में मिठास बनी रहती है।