जयप्रकाश Associates के बाद क्या JP Power भी खरीदने वाले हैं वेदांता

माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता लिमिटेड जयप्रकाश पावर वेंचर्स पर नजर गड़ाए हुए है। वेदांता समूह कंपनी का नियंत्रण पाने (Who is buying JP Power) के लिए अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रही है। अगर यह सौदा हो जाता है तो जेपीवीएल में वेदांता की 24% हिस्सेदारी होगी।

माइनिगं सेक्टर के दिग्गज अनिल अग्रवाल की वेदांता लिमिटेड (Vedanta Jaiprakash Associates), जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड (Jaiprakash Power) पर अपनी नजरें गड़ाए हुए है।यह भारी कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) की प्रॉफिट वाली पावर सेक्टर से जुड़ी कंपनी है।

बिजनेसलाइन अखबार के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि वेदांता अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने की तैयारी कर रही है। जिससे वेदांता समूह को कंपनी का पूरी तरह से नियंत्रण (Who is buying JP Power) मिल सकता है।

यह हाल ही में जयप्रकाश एसोसिएट को खरीदने के बाद खबर आई है। वेदांता 17,000 करोड़ रुपये की सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी बनकर उभरी है। जिसने अडानी सहित कई प्रतिद्वंद्वियों को पीछे छोड़ दिया है। अगर यह सौदा हो जाता है तो वेदांता की जेपीवीएल में 24% हिस्सेदारी होगी।

लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। वेदांता लगभग ₹3,800 करोड़ के अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय अधिमान्य शेयरों (CCPS) के लिए भी बोली लगाने पर विचार कर रहा है, जो वर्तमान में ICICI बैंक के साथ JPVL के ऋणदाताओं के पास हैं।

एक बार परिवर्तित होने पर, ये सीसीपीएस 25% अतिरिक्त हिस्सेदारी में तब्दील हो जाएंगे, जिससे वेदांता की हिस्सेदारी लगभग 49% हो जाएगी।

इससे भी ज्यादा यहां दिलचस्प बात यह है कि सेबी के नियमों के अनुसार, यदि वेदांता इस सीमा को पार कर जाता है, तो 26% अतिरिक्त हिस्सेदारी के लिए एक खुली पेशकश शुरू हो जाएगी। इसका मतलब है कि वेदांता अंतत JPVL का बहुमत नियंत्रण अपने पास ले सकता है।

इस मामले से परिचित एक बैंकर ने कहा कि CCPS पर चर्चा अगले सप्ताह की शुरुआत में शुरू हो सकती है। जेएएल के कुछ बोलीदाताओं ने पहले ही संकेत दे दिया है कि वे CCPS प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे, जिससे वेदांता के लिए रास्ता खुला रहेगा।

बाजार पर नजर रखने वालों का कहना है कि यह सौदा एक बड़ा बदलाव ला सकता है। बिजनेसलाइन अंग्रेजी अखबार के मुताबिक एक सूत्र ने बताया, “जेएएल की बिजली, सीमेंट और रियल एस्टेट संपत्तियों से वेदांता को भारी फायदा हो सकता है।” हालांकि, वेदांता ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।

जेपी पावर है प्रॉफिट में
जेपीवीएल का काम बढ़िया चल रहा है। साल 2019 में इसके लोन को सही तरीके से स्ट्रक्चर किया गया था। जिसके तहत ऋणदाताओं को ₹3,800 करोड़ मूल्य के सीसीपीएस जारी किए गए थे। आज भी यह लाभ में है।

वित्त वर्ष 26, 30 जून को समाप्त तिमाही में जारी नतीजों के मुताबिक जेपीवीएल ने ₹1,584 करोड़ (वर्ष-दर-वर्ष 10% कम) का रेवेन्यू हासिल किया। वहीं नेट प्रॉफिट ₹278 करोड़ (वर्ष-दर-वर्ष 20% कम) का हासिल किया।

बिजली क्षेत्र का फायदा ₹644 करोड़
कंपनी कुछ पुराने बोझ से भी जूझ रही है। इसने पहले अपनी मूल कंपनी जेएएल की ओर से भारतीय स्टेट बैंक को 15 करोड़ डॉलर (लगभग ₹1,240 करोड़) की कॉर्पोरेट गारंटी दी थी।

जेएएल के खिलाफ अब दिवालिया की कार्यवाही चल रही है, जेपीवीएल ने समाधान पेशेवर के समक्ष दावे दायर किए हैं, जिन्हें आंशिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है।

यदि वेदांता की योजना सफल होती है, तो वह बिजली क्षेत्र में अपनी उपस्थिति मज़बूत करेगी और साथ ही एक लाभदायक कंपनी का अधिग्रहण करेगी, वह भी ऐसे समय में जब जेएएल के ऋणदाता समाधान के लिए उत्सुक हैं।

वेदांता के लिए, यह खनन से आगे बढ़कर ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार करने का एक बेहतरीन अवसर हो सकता है।

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