बाढ़ प्रभावितों को राहत-आपदा प्रबंधन की याचिका, तत्काल दखल से हाईकोर्ट का इनकार

चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों को अभी जमीनी हालात से निपटना है। यदि हम उन्हें शपथ पत्र दाखिल करने को कहेंगे तो वे राहत कार्यों से हटकर कागजी कार्रवाई में उलझ जाएंगे, जो इस समय उचित नहीं होगा।

बाढ़ के कारण बनी हाहाकार की स्थिति के बीच प्रभावित लोगों को बचाने, मुआवजा देने, पुनर्वास करने व अन्य मांगों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में लगातार जनहित याचिकाएं पहुंच रही थीं। हालांकि कोर्ट ने तत्काल दखल से इन्कार कर दिया था।

ऐसी मांग को लेकर इस स्थिति के लिए सरकारी कुप्रबंधन को जिम्मेदार बताते हुए ऐसी सभी याचिकाओं पर सोमवार को सुनवाई का निर्णय लिया है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि अधिकारियों को अभी जमीनी हालात से निपटना है। यदि हम उन्हें शपथ पत्र दाखिल करने को कहेंगे तो वे राहत कार्यों से हटकर कागजी कार्रवाई में उलझ जाएंगे, जो इस समय उचित नहीं होगा।

याचिका मोहाली निवासी नवींदर वीके सिंह ने दाखिल की थी। इस दौरान अतिरिक्त साॅलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्य पाल जैन ने कोर्ट को बताया कि केंद्र और राज्य सरकारें गंभीरता से राहत कार्यों में जुटी हैं। केंद्र और राज्य सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रहे हैं। कृषि मंत्री स्वयं कल पंजाब में मौके पर पहुंचे थे। पंजाब सरकार के वकील ने भी अदालत को अवगत कराया कि सुप्रीम कोर्ट ने वीरवार को सुनवाई के दौरान पंजाब की बाढ़ पर संज्ञान लिया है।

उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट ने 2 सितंबर को भी एक समान जनहित याचिका पर कोई आदेश पारित करने से इन्कार किया था जिसमें बाढ़ राहत और पुनर्वास कार्यों की न्यायालय निगरानी की मांग की गई थी।

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