पटना में RLM की परिसीमन सुधार महारैली; उपेंद्र कुशवाहा बोले- बिहार के साथ अन्याय हो रहा है

राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन पर रोक लगाकर बिहार जैसे राज्यों के साथ अन्याय किया जा रहा है। यदि समय पर परिसीमन हुआ होता तो आज बिहार में 40 लोकसभा सीटों के बजाय 60 सीटें होतीं। यह हमारे साथ अन्याय और बेइमानी है। हमारी पार्टी लगातार यह मांग कर रही है कि आगे से नई जनगणना के आधार पर परिसीमन अवश्य हो।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार दोपहर पटना में बड़ी रैली की। यह रैली पटना के मिलर हाई स्कूल के ग्राउंड दोपहर एक बजे से शुरू हुई लेकिन सुबह से ही पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता पहुंचने लगे। दोपहर दो बजे तक पूरा मिलर हाई स्कूल ग्राउंड राष्ट्रीय लोक मोर्चा के समर्थकों से भर चुका था। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज बेहद ही खास दिन है। आज पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन और बिहार के लेनिन कहे जाने वाले जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस है। इस मौके पर पटना स्थित मिलर हाईस्कूल मैदान में राज्यस्तरीय संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन गया। उन्होंने कहा कि परिसीमन की बात हमलोगों पिछले चार महीनों से कर रहे हैंं। पार्टी ने तय किया कि बिहार के अलग अलग हिस्सों में रैली करेंगे। शाहाबाद, मुजफ्फरपुर और गया के बाद आज पटना में रैली हो रही है। इस मुद्दे के समापन नहीं हो रहा है। इस मुद्दे को हमलोग विधानसभा चुनाव तक स्थगित कर रहे हैं। चुनाव के बाद यह अभियान जारी रहेगा।
हमारी पार्टी केवल जनता के मुद्दों की राजनीति करती है
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी केवल जनता के मुद्दों की राजनीति करती है। हम हंगामा करके राजनीति नहीं करते, बल्कि जनता की समस्याओं का हल निकालने पर ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि रैली में विशेष एजेंडा के माध्यम से लोगों को अवगत कराने का काम करेंगे, जिसका विषय परिसीमन है। परिसीमन का मतलब लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या का निर्धारण है, जो विभिन्न राज्यों में संविधान के अनुसार किया जाता है। दस साल पर जनगणना होगी। जनगणना के उपरांत जितनी आबादी उस वक्त की होगी, उसके अनुरूप लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ेगी।
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परिसीमन का कार्य रोक दिया गया
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संविधान की इस व्यवस्था के अनुसार सबसे पहली बार 1951 में आजादी के बाद जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ। 1961 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ, फिर 1971 की जनगणना के आधार पर भी परिसीमन हुआ। 1951 में लोकसभा सीट 494 थी, जो परिसीमन के बाद 1961 में 522 और 1971 में 543 हो गई। उसी व्यवस्था के अनुसार आगे भी परिसीमन होना चाहिए था। लेकिन, 1976 में जब आपातकाल लागू था, उस वक्त संविधान में परिवर्तन कर दिया गया और परिसीमन का कार्य रोक दिया गया, जो अभी तक रुका हुआ है। इस रुकावट से बिहार और उसके आसपास के कुछ राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है।
बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा
सांसद कुशवाहा ने कहा कि अगर पुरानी व्यवस्था के अनुसार 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ होता, तो लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 40 से बढ़कर कम से कम 60 हो गई होती। विधानसभा क्षेत्र की संख्या भी उसके अनुरूप बढ़ती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 50 साल से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव के लिए रैली नहीं करते हैं। हम हमेशा से मुद्दों की राजनीति करते हैं। इस मुद्दा का संबंध आगामी विधानसभा चुनाव से नहीं है। बिहार के साथ जो 50 साल से अन्याय हो रहा है। उसके लिए हम खड़े होना चाहते हैं।
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि परिसीमन पर रोक लगाकर बिहार जैसे राज्यों के साथ अन्याय किया जा रहा है। यदि समय पर परिसीमन हुआ होता तो आज बिहार में 40 लोकसभा सीटों के बजाय 60 सीटें होतीं। यह हमारे साथ अन्याय और बेइमानी है। हमारी पार्टी लगातार यह मांग कर रही है कि आगे से नई जनगणना के आधार पर परिसीमन अवश्य हो।
राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार दोपहर पटना में बड़ी रैली की। यह रैली पटना के मिलर हाई स्कूल के ग्राउंड दोपहर एक बजे से शुरू हुई लेकिन सुबह से ही पार्टी के समर्थक और कार्यकर्ता पहुंचने लगे। दोपहर दो बजे तक पूरा मिलर हाई स्कूल ग्राउंड राष्ट्रीय लोक मोर्चा के समर्थकों से भर चुका था। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज बेहद ही खास दिन है। आज पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन और बिहार के लेनिन कहे जाने वाले जगदेव प्रसाद का शहादत दिवस है। इस मौके पर पटना स्थित मिलर हाईस्कूल मैदान में राज्यस्तरीय संवैधानिक अधिकार परिसीमन सुधार महारैली का आयोजन गया। उन्होंने कहा कि परिसीमन की बात हमलोगों पिछले चार महीनों से कर रहे हैंं। पार्टी ने तय किया कि बिहार के अलग अलग हिस्सों में रैली करेंगे। शाहाबाद, मुजफ्फरपुर और गया के बाद आज पटना में रैली हो रही है। इस मुद्दे के समापन नहीं हो रहा है। इस मुद्दे को हमलोग विधानसभा चुनाव तक स्थगित कर रहे हैं। चुनाव के बाद यह अभियान जारी रहेगा।
हमारी पार्टी केवल जनता के मुद्दों की राजनीति करती है
राज्यसभा सांसद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि हमारी पार्टी केवल जनता के मुद्दों की राजनीति करती है। हम हंगामा करके राजनीति नहीं करते, बल्कि जनता की समस्याओं का हल निकालने पर ध्यान देते हैं। उन्होंने कहा कि रैली में विशेष एजेंडा के माध्यम से लोगों को अवगत कराने का काम करेंगे, जिसका विषय परिसीमन है। परिसीमन का मतलब लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या का निर्धारण है, जो विभिन्न राज्यों में संविधान के अनुसार किया जाता है। दस साल पर जनगणना होगी। जनगणना के उपरांत जितनी आबादी उस वक्त की होगी, उसके अनुरूप लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों की संख्या भी बढ़ेगी।
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परिसीमन का कार्य रोक दिया गया
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि संविधान की इस व्यवस्था के अनुसार सबसे पहली बार 1951 में आजादी के बाद जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ। 1961 की जनगणना के आधार पर परिसीमन हुआ, फिर 1971 की जनगणना के आधार पर भी परिसीमन हुआ। 1951 में लोकसभा सीट 494 थी, जो परिसीमन के बाद 1961 में 522 और 1971 में 543 हो गई। उसी व्यवस्था के अनुसार आगे भी परिसीमन होना चाहिए था। लेकिन, 1976 में जब आपातकाल लागू था, उस वक्त संविधान में परिवर्तन कर दिया गया और परिसीमन का कार्य रोक दिया गया, जो अभी तक रुका हुआ है। इस रुकावट से बिहार और उसके आसपास के कुछ राज्यों को बहुत नुकसान हो रहा है।
बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा
सांसद कुशवाहा ने कहा कि अगर पुरानी व्यवस्था के अनुसार 2011 की जनसंख्या के आधार पर परिसीमन हुआ होता, तो लोकसभा क्षेत्रों की संख्या 40 से बढ़कर कम से कम 60 हो गई होती। विधानसभा क्षेत्र की संख्या भी उसके अनुरूप बढ़ती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 50 साल से यह प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे बिहार के लोगों को बड़ा नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि हम चुनाव के लिए रैली नहीं करते हैं। हम हमेशा से मुद्दों की राजनीति करते हैं। इस मुद्दा का संबंध आगामी विधानसभा चुनाव से नहीं है। बिहार के साथ जो 50 साल से अन्याय हो रहा है। उसके लिए हम खड़े होना चाहते हैं।