‘दिव्यागों के लिए एम्बुलेंस, सुलभ सार्वजनिक परिवहन और पुनर्वास योजना…

केंद्र सरकार ने सड़क हादसों में दिव्यांग हुए लोगों के लिए नई ड्राफ्ट स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी की है। इसमें दिव्यांग-हितैषी एम्बुलेंस, तेजी से पीड़ितों की निकासी, प्रशिक्षित पहले मददगार, सुलभ पब्लिक ट्रांसपोर्ट और व्यापक पुनर्वास योजनाओं का प्रावधान किया गया है। यह ड्राफ्ट दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (DEPwD) ने तैयार किया है और इसे पिछले महीने सार्वजनिक सुझावों के लिए जारी किया गया।

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सड़क सुरक्षा और हादसे के बाद देखभाल के लिए SOP तैयार करने का निर्देश दिया था। उसी के तहत यह ड्राफ्ट तैयार किया गया है। इसमें हादसे के शिकार लोगों की पहचान, त्वरित चिकित्सा, पुनर्वास और लंबे समय तक सामाजिक रूप से जोड़ने की योजना शामिल है।

सड़क और परिवहन ढांचे पर जोर
ड्राफ्ट एसओपी के अनुसार, सभी नए और संशोधित सड़क व परिवहन ढांचे को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम 2016 और इंडियन रोड्स कांग्रेस (आईआरसी) कोड्स के अनुरूप बनाया जाएगा। इसमें टैक्टाइल पाथ, रैंप, ऑडिबल सिग्नल, लो-फ्लोर बसें और प्राथमिकता सीटिंग जैसी सुविधाएं शामिल होंगी। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नियमित रूप से एक्सेसिबिलिटी ऑडिट करने होंगे।

आपातकालीन व्यवस्था और एम्बुलेंस
हादसों के दौरान पुलिस, पैरामेडिक्स और मददगारों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वे रीढ़ या अंगों की चोट वाले पीड़ितों को सही तकनीक से संभाल सकें। एम्बुलेंस में रैंप और एडजस्टेबल स्ट्रेचर होंगे। ट्रॉमा सेंटरों को दिव्यांग संस्थानों और रीजनल सेंटर्स से जोड़ा जाएगा ताकि विशेषज्ञ देखभाल उपलब्ध हो सके।

पुनर्वास और वित्तीय मदद
ड्राफ्ट एसओपी में फिजियोथेरेपी, व्यावसायिक प्रशिक्षण और काउंसलिंग को शामिल किया गया है। पीड़ितों को कृत्रिम अंग, व्हीलचेयर और हियरिंग एड जैसी सहायक डिवाइस एडीआईपी योजना के तहत दी जाएंगी। जिला सड़क सुरक्षा समितियों को निर्देश दिया गया है कि वे कानूनी सेवा प्राधिकरण के साथ मिलकर मुआवजा दिलाएं। साथ ही बीमा कंपनियों को ऐसे पैकेज तैयार करने होंगे, जिनमें पुनर्वास और सहायक तकनीक का खर्च शामिल हो।

दुर्घटनाओं से संबंधित सभी डेटा को सीसीटीएनएस जैसे प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा। हर राज्य में परिवहन विभाग में दिव्यांग संपर्क अधिकारी तैनात होंगे, जो एक्सेसिबिलिटी योजनाओं की निगरानी करेंगे। सभी मुआवजे यूडीआईडी डेटाबेस से मिलान करने के बाद ही दिए जाएंगे ताकि गड़बड़ी रोकी जा सके।

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