बालों को रंगने से पहले जान लें काली मेहंदी की असली सच्चाई

बालों को काला करने के लिए अक्सर लोग काली मेहंदी का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में आपके लिए ये जानना जरूरी है कि क्या ये सच में प्राकृतिक है ?

आज-कल खराब लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से लोगों के बाल कम उम्र में भी लोगों के बाल सफेद होने लगे हैं। ऐसे में बहुत से लोग बालों को जल्दी और गहराई से रंगने के लिए काली मेहंदी का इस्तेमाल करते हैं। बाजार में इसे नेचुरल या हर्बल बताकर बेचा जाता है, लेकिन क्या ये वास्तव में पूरी तरह प्राकृतिक होती है?

यही सवाल आज के समय में बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि सुंदरता के चक्कर में हम जाने-अनजाने में अपने बालों और स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इस लेख में हम जानेंगे कि काली मेहंदी कितनी प्राकृतिक है, इसके क्या फायदे हो सकते हैं और किन नुकसानों से आपको सावधान रहना चाहिए। अगर आप भी काली मेहंदी का इस्तेमाल करते हैं, तो ये जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।

क्या काली मेहंदी सच में प्राकृतिक है?
अब सबसे पहले जान लेते हैं कि क्या ये काली मेहंदी सच में प्राकृतिक है ? तो इसका जबाव है कि नहीं। ये मेहंदी प्राकृतिक नहीं होती। इसे कई कंपनियां हर्बल या नेचुरल बताकर बेचती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकतर काली मेहंदी में केमिकल्स मिलाए जाते हैं। बाजार में मिलने वाली ज्यादातर काली मेहंदी में पीपीडी नाम का केमिकल पाया जाता है।

ये एक सिंथेटिक डाई होती है जो बालों को गहरा काला रंग देती है। हमेशा ध्यान रखें कि प्राकृतिक मेहंदी हमेशा हरे पत्तों से बनती है, जो हल्का भूरा या लाल रंग देती है। अगर कोई काली मेहंदी तुरंत गहरा काला रंग दे रही है, तो संभव है कि उसमें रासायनिक तत्व मिले हों। अब जान लेते हैं इसके फायदे और नुकसान……

ये हैं फायदे
सफेद बालों को तेजी से काला करती है।
लगाना आसान होता है।
कुछ ब्रांड्स में हर्बल इंग्रीडिएंट्स होते हैं और इसमें केमिकल की मात्रा डाई से कम होती है।
कुछ समय के लिए बालों को चमकदार बना सकती है।

ये हैं नुकसान
एलर्जी या जलन की संभावना हो सकती है।
स्कैल्प में खुजली या जलन हो सकती है।
बालों की जड़ें कमजोर हो सकती हैं।
बाल झड़ सकते हैं।
लंबे समय तक इस्तेमाल से बाल बेजान और रुखे हो सकते हैं।

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