पंजाब के रेडिमेड गारमेंट्स और आटो पार्ट्स उद्योगों को करारा झटका

अमेरिका आज से भारतीय उत्पादों के आयात पर 25 फीसदी और टैरिफ लगाने जा रहा है। अब अमेरिका जाने वाले भारतीय उत्पादों पर कुल पचास फीसदी टैरिफ लगेगा, जोकि अन्य प्रतिस्पर्धात्मक देशों के मुकाबले काफी अधिक है। नतीजतन इससे भारतीय निर्यातक अमेरिकी बाजार से आउट हो जाएंगे।

इसका सीधा असर पंजाब के रेडिमेड गारमेंट्स, आटो पार्ट्स, लेदर गुड्स, फास्टनर, हैंड टूल्स, खेलों का सामान एवं कृषि उपकरणों के निर्यातकों पर होगा। सात अगस्त को 25 फीसदी टैरिफ लगने के बाद से ही अमेरिकी बायर्स ने निर्यातकों को नए आर्डर देने बंद कर दिए थे और वे 27 अगस्त का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अब नया टैरिफ लगने के बाद अमेरिकी बायर्स ने विश्व के अन्य देशों की तरफ रूख किया है।

वर्ल्ड एमएसएमई फोरम के अनुसार पंजाब से अमेरिका को करीब आठ हजार करोड़ के रेडिमेड गारमेंट्स एवं टेक्सटाइल उत्पाद, दो हजार करोड़ के फास्टनर्स, पांच हजार करोड़ के इलेक्ट्रिकल्स और मशीन टूल्स, चार हजार करोड़ के ऑटो पार्ट्स व हैंड टूल्स, पांच सौ करोड़ के लेदर प्रोडक्ट्स, तीन सौ करोड़ के स्पोर्ट्स गुड्स और दो सौ करोड़ के कृषि उपकरण का निर्यात करता है। उच्च टैरिफ से इस निर्यात पर सीधा असर होने की संभावना है, क्योंकि प्रतिस्पर्धी देशों पर भारत के मुकाबले काफी कम टैरिफ है।

वर्ल्ड एमएसएमई फोरम के प्रेसिडेंट बदीश जिंदल कहते हैं कि इस फैसले का सीधा फायदा चीन और बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि यहां के निर्यातकों के अमेरिकी आर्डर रद्द हो रहे हैं।

उधर फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन के प्रधान एससी रल्हन का कहना है कि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है और इस कदम से करीब 55 प्रतिशत निर्यात, जिसकी कीमत 47–48 अरब डॉलर है, सीधी मार झेलेगा। उन्होंने कहा कि बढ़े हुए शुल्क से भारतीय उत्पाद अब चीन, वियतनाम, कंबोडिया, फिलीपींस और अन्य एशियाई देशों के मुकाबले 30–35 प्रतिशत महंगे हो जाएंगे।

इससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त तेजी से खत्म हो रही है। रेडिमेड गारमेंट्स निर्माताओं के पास अमेरिका के नए आर्डर नहीं हैं। पुराने आर्डर भी रद्द हो रहे हैं। इसका फायदा वियतनाम एवं बांग्लादेश जैसे देश उठा रहे हैं। रल्हन ने कहा है कि इस नुकसान की भरपाई के लिए सरकार नए बाजारों की तलाश के लिए यूरोपीय संघ, ओमान, चिली, पेरू, जीसीसी देशों और अफ्रीका के साथ त्वरित एफटीए करे। साथ ही निर्यातकों को राहत पैकेज दिया जाए।

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