भारतीय थल सेना प्रमुख का अल्जीरिया दौरा

भारत और अल्जीरिया के रणनीतिक रिश्ते को मजबूती देने के लिए थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज से 28 अगस्त तक अल्जीरिया की यात्रा पर रहेंगे। इस दौरे का मकसद दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाना, सेना-से-सेना संबंध मजबूत करना और रक्षा तकनीक में नए अवसर तलाशना है।
भारत और अल्जीरिया के बीच के रिश्ते को और मजबूत करने के लिए भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी 25 अगस्त से 28 अगस्त तक अल्जीरिया की आधिकारिक यात्रा पर रहेंगे हैं। यह जानकारी रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में दी गई है। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब हाल ही में भारत के राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ भी अल्जीरिया जा चुके हैं। ऐसे में ये बात साफ हो गई है कि भारत अल्जीरिया के साथ मजबूत रणनीतिक रिश्ते बनाने को लेकर गंभीर है।
सेना ने जारी किया बयान
जनरल द्विवेदी के इस यात्रा को लेकर भारतीय सेना की आधिकारिक एजेंसी एडीजीपीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी आज अल्जीरिया की आधिकारिक यात्रा पर गए। यह दौरा आपसी समझ को गहरा करने, साझा हितों में सहयोग बढ़ाने और रक्षा साझेदारी को मजबूत करने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
क्या है इस दौरा का उद्देश्य?
वहीं बात इस दौरे के उद्देश्य की करें तो जनरल उपेंद्र द्विवेदी की इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और अल्जीरिया के बीच रक्षा और सुरक्षा सहयोग को बढ़ाना, सेना-से-सेना संबंधों को मजबूत करना, क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करना और रक्षा उद्योग व तकनीक में सहयोग के नए रास्ते तलाशना है।
किन-किन लोगों से करेंगे मुलाकात?
अपने इस दौरे के दौरान वे अल्जीरिया के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे, जिनमें राष्ट्रीय रक्षा मंत्री के प्रतिनिधि और अल्जीरियाई सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल सईद चानेग्रिहा तथा भूमि सेना के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मुस्तफा स्माली शामिल हैं। इसके अलावा, वे अल्जीरिया की प्रतिष्ठित चेरशेल मिलिट्री अकादमी का दौरा करेंगे और शहीद स्मारक पर श्रद्धांजलि भी अर्पित करेंगे।
रक्षा उद्योग में पहले से हो रही है तैयारी
बता दें कि इस यात्रा से पहले 30 जुलाई से एक अगस्त तक अल्जीयर्स में एक रक्षा संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। इसमें भारतीय रक्षा कंपनियों ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था। यह आयोजन दोनों देशों के बीच रक्षा तकनीक और उद्योग में सहयोग की नींव के रूप में देखा जा रहा