रेत के आइलैंड पर मिला 1400 साल पुराना क्रॉस, रहस्य में उलझे वैज्ञानिक

अबू धाबी के सर बानी यास द्वीप पर पुरातत्वविदों ने हाल ही में 1400 साल पुराना एक अनोखा शिलालेख खोजा है, जिसने ईसाई धर्म के ईस्ट की ओर प्रसार को लेकर समझ को बदल कर रख दिया है. इस कलाकृति पर अंकित क्रॉस एक सीढ़ीदार पिरामिड जैसा दिखता है, जो गोलगोथा की झलक देता है, वही स्थान जहां माना जाता है कि यीशु मसीह को सूली पर चढ़ाया गया था. शिलालेख के आधार से निकलती वनस्पतियों की आकृति इसे और भी खास बनाती है. यह अवशेष चर्च और मठ के खंडहरों के बीच मिला, जिससे यह संकेत मिलता है कि सातवीं और आठवीं सदी के दौरान इस द्वीप पर एक समृद्ध ईसाई समुदाय मौजूद था. अब तक इस काल में ईसाई धर्म को मुख्य रूप से लेवांत, मेसोपोटामिया और यूरोप तक सीमित माना जाता था. ऐसे में अरब सागर की दक्षिण-पूर्वी खाड़ी में इसकी समृद्ध उपस्थिति का प्रमाण मिलना ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है.
उस समय का अरब क्षेत्र धार्मिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था. इस्लाम तेजी से उभर रहा था, प्राचीन पगान परंपराएं जीवित थीं और माना जाता था कि ईसाई धर्म धीरे-धीरे ढलान पर है लेकिन यह खोज इस धारणा को चुनौती देती है और दिखाती है कि उस समय यहां ईसाई समुदाय केवल जीवित नहीं था, बल्कि फल-फूल रहा था. साइट की प्रमुख पुरातत्वविद मारिया गाजेव्स्का ने कहा, “क्रॉस के हर तत्व में स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीकों की झलक है. यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में ईसाई धर्म केवल मौजूद नहीं था बल्कि फल-फूल रहा था और स्थानीय परंपराओं के साथ सामंजस्य स्थापित कर रहा था.”
मिला ईसाई धर्म का क्रॉस
अबू धाबी के संस्कृति और पर्यटन विभाग के अध्यक्ष मोहम्मद खलीफा अल मुबारक ने इस खोज को “सह-अस्तित्व और सांस्कृतिक खुलेपन के स्थायी मूल्यों का प्रमाण” बताया. उन्होंने कहा कि यह खोज दिखाती है कि इस क्षेत्र में धार्मिक विविधता और शांति की लंबी परंपरा रही है. इस सीज़न की खुदाई में मिट्टी के बर्तन, कांच की कलाकृतियां और एक छोटा हरे रंग की बोतल भी मिली है, जिसके बारे में अनुमान है कि उसमें तेल या गुलाबजल रखा जाता होगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इसे एक पवित्र वस्तु के रूप में चर्च की दीवार पर रखा जाता होगा, जिसके सामने भक्त प्रार्थना करते होंगे. स्थानीय पुरातत्वविद हागर अल मेनहली ने बताया कि यह शिलालेख उल्टा पड़ा हुआ था और उसके पीछे एक स्पष्ट उंगली का निशान देखा गया. उनका अनुमान है कि यह उस शिल्पकार का निशान हो सकता है जिसने इसे बनाया था.