कब मनाई जाएगी पापांकुशा और रमा एकादशी? यहां जानें शुभ मुहूर्त एवं योग

सनातन धर्म में आश्विन महीने का खास महत्व है। यह महीना जगत की देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्र मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है।
आश्विन माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है, तो आइए, पापांकुशा और रमा एकादशी से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं –
कब मनाई जाती है पापांकुशा एकादशी?
हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन पापांकुशा एकादशी मनाई जाती है। पापांकुशा एकादशी का व्रत करने से साधक द्वारा जन्म-जन्मांतर में किए गए पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण की विशेष कृपा बरसती है। उनकी कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है।
पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 07 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 03 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 32 पर एकादशी तिथि समाप्त होगी। इस प्रकार 03 अक्टूबर को पापांकुशा एकादशी मनाई जाएगी।
कब मनाई जाती है रमा एकादशी?
रमा एकादशी हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह महीना भगवान कृष्ण को अति प्रिय है। इस महीने में भगवान विष्णु योगनिद्रा से जागृत होते हैं। इस दिन से सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक काम किए जाते हैं। रमा एकादशी के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है।
रमा एकादशी (Rama Ekadashi 2025)
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर एकादशी तिथि का समापन होगा। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए रमा एकादशी शुक्रवार 17 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी।