कपड़ा-फुटवियर से लेकर घी-मक्खन तक हो जाएंगे सस्ते

 जीएसटी प्रणाली से 12 और 28 प्रतिशत कर वाले स्लैब को समाप्त करने पर कपड़ा-फुटवियर से लेकर घी-मक्खन तक सस्ते हो जाएंगे। 1000 रुपये से अधिक कीमत वाले शर्ट-पैंट और फुटवियर खरीदने पर 12 प्रतिशत टैक्स लगता है, जबकि 1000 रुपये से कम कीमत वाले शर्ट-पैंट व फुटवियर पर पांच प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है। अब सभी प्रकार के शर्ट-पैंट और फुटवियर पर पांच प्रतिशत टैक्स लगेगा।

अब सात प्रतिशत तक कम टैक्स लगेगा

सरकार की ओर से जारी नए प्रस्ताव के मुताबिक, 12 प्रतिशत के स्लैब में शामिल 99 प्रतिशत उत्पादों को पांच प्रतिशत कर की श्रेणी में शामिल कर दिया जाएगा। ऐसे में दैनिक रूप में इस्तेमाल होने वाले सैकड़ों उत्पादों पर अब पहले के मुकाबले सात प्रतिशत तक कम टैक्स लगेगा और ग्राहकों को कम कीमत चुकानी होगी।

इनमें मुख्य रूप से ड्राइ फ्रूट, सभी प्रकार के पैक्ड नमकीन, प्रोसेस्ड फूड, चटनी, जैम, जेली, पैक्ड नारियल पानी, पैक्ड जूस, 20 लीटर वाली पानी की पैक्ड बोतल, पास्ता, पेंसिल, टूथ पाउडर, जूट व काटन का हैंडबैग, शॉपिंग बैग, मोमबत्ती, टायलेट में इस्तेमाल होने वाले सामान, मच्छरदानी, म्यूनीज, विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक व अन्य दवाइयां, पास्ता, परदा, किचनवेयर, फसल काटने वाली मशीन, थ्रेशिंग मशीन, मेडिसिनल ग्रेड आक्सीजन, सिंथेटिक धागे, एल्युमीनियम के बर्तन, स्पो‌र्ट्स गुड्स, फर्नीचर, नट-बोल्ट, सिलिकान वेफर, रेलवे में इस्तेमाल होने वाले उत्पाद आदि शामिल हैं।

12 प्रतिशत के स्लैब को हटाया जा रहा है

जीएसटी विशेषज्ञों का कहना है कि करों की दरों में बदलाव से सरकार के राजस्व पर इसलिए अधिक फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जीएसटी के मद में मिलने वाला 65 प्रतिशत राजस्व 18 प्रतिशत के स्लैब से प्राप्त होता है। 12 प्रतिशत के स्लैब को हटाया जा रहा है और राजस्व संग्रह में इस स्लैब की हिस्सेदारी सिर्फ पांच प्रतिशत है।

अब पांच प्रतिशत जीएसटी वसूला जाएगा

12 प्रतिशत की जगह इन उत्पादों पर अब पांच प्रतिशत जीएसटी वसूला जाएगा। ऐसा नहीं है कि इन उत्पादों को जीएसटी से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया है। जीएसटी राजस्व में 28 प्रतिशत के स्लैब की हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है और इसके उत्पादों को 18 प्रतिशत में शामिल कर दिया जाएगा। 28 प्रतिशत में काफी कम उत्पाद शामिल है। इनमें से कई उत्पादों पर 40 प्रतिशत जीएसटी लगाने का प्रस्ताव है।

पिछले वर्ष 1.8 लाख करोड़ रुपये रहा औसत जीएसटी संग्रह

वित्त वर्ष 2024-25 में जीएसटी का मासिक औसत संग्रह 1.8 लाख करोड़ रहा है। जीएसटी राजस्व में 12 प्रतिशत स्लैब की हिस्सेदारी पांच प्रतिशत है और इस हिसाब 1.8 लाख करोड़ में उनकी हिस्सेदारी नौ हजार करोड़ रुपये होती है।

डेलाइट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह ने बताया कि सरकार के नए प्रस्ताव को देखते हुए राजस्व नुकसान का हिसाब लगाया जा रहा है और मोटे तौर पर यह नुकसान मासिक रूप से चार हजार करोड़ रुपये का दिख रहा है।

28 प्रतिशत में शामिल कई उत्पादों को सरकार 40 प्रतिशत में डाल सकती है। अभी इस दिशा में विचार चल रहा है। सिंह ने बताया कि रोजमर्रा के उत्पादों के सस्ता होने से कुछ समय बाद इनकी बिक्री में भी बढ़ोतरी की उम्मीद है जिससे जीएसटी संग्रह में होने वाली क्षति की पूर्ति हो जाएगी।

जीएसटी सुधारों से खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के पूर्व अध्यक्ष नजीब शाह ने शनिवार को कहा कि जीएसटी ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन की सरकार की योजना से उपभोक्ताओं के पास खर्च करने योग्य आय बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था में मांग और समग्र उपभोग को बढ़ावा मिलने की संभावना है।

जीएसटी ढांचे में सुधार बेहद क्रांतिकारी कदम

नजीब शाह ने बताया कि लघु एवं मध्यमों उद्यमों के लिए सरलीकृत कर दरें, कम अनुपालन बोझ और जीएसटी ढांचे में सुधार बेहद क्रांतिकारी कदम हैं। इनसे कर प्रणाली मजबूत होगी। विकास को प्रोत्साहन मिलेगा और एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में भारत की स्थिति मजबूत होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button