मध्य प्रदेश के टाइगर रिजर्व में मौजूद सांपों की प्रजातियों का पता लगाएगा भारतीय वन्य जीव संस्थान

भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) जल्द ही मध्य प्रदेश में सांपों की प्रजातियों और किन क्षेत्रों में किस प्रजाति के सांप ज्यादा हैं, इसका पता लगाएगा। इस काम को करने की संस्थान ने स्वीकृति दे दी है। इस पर बरसात के बाद काम शुरू होगा।
भारतीय वन्य जीव संस्थान सांपों की प्रजातियों की संख्या और उनकी मौजूदगी के पैटर्न का अध्ययन करेगा। संस्थान ने राज्य वन विभाग को इस अध्ययन के लिए सैद्धांतिक सहमति दे दी है। अधिकारियों के अनुसार, यह अध्ययन केवल संरक्षित क्षेत्रों जैसे राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व और वन्यजीव अभयारण्य में किया जाएगा। अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल. कृष्णमूर्ति ने बताया कि राज्य में सांपों की प्रजातियों और उनकी संख्या का पता लगाने के लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान की टीम भेजी जाएगी। इस सर्वे में यह भी पता लगाया जाएगा कि किन क्षेत्रों में कौन-सी प्रजातियां पाई जाती हैं और उनकी औसत संख्या कितनी है। साथ ही इसमें यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या कभी मध्य प्रदेश में किंग कोबरा मौजूद रहा है।
बरसात के बाद मध्य प्रदेश आएगी टीम
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय वन्यजीव संस्थान की टीम बरसात के बाद मध्य प्रदेश आएगी। इस सर्वे के लिए वन विभाग के स्टॉफ को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए वन विभाग की तरफ से डब्ल्यूआईआई को करीब 20 से 25 लाख रुपये का भुगतान किया जाएगा। इस सर्वे में कैमरा ट्रैप लगाए जाएगें, उनके ट्रेक तलाशे जाएंगे। साथ ही उनके पोंटेशियल वाली जगहों पर तलाश कर भी गिनती की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने दिया था ‘सांप गणना’ का सुझाव
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने राज्य में सांपों की गणना का विचार रखा था, ताकि यहां मौजूद प्रजातियों की संख्या का पता लगाया जा सके। उनका मानना है कि यह अध्ययन उन क्षेत्रों की पहचान में मदद करेगा जहां सांपों की संख्या अधिक है, जिससे सांप के काटने के मामलों को कम करने में भी सहायता मिल सकती है।