पंजाब की पंथक राजनीति में बदलाव: अकाली दल बागी गुट के प्रधान बने ज्ञानी हरप्रीत सिंह

अकाल तख्त ने दो दिसंबर, 2024 में गठित पांच सदस्यीय भर्ती कमेटी का गठन पार्टी में नेतृत्व संकट और पंथक मुद्दों पर असहमति के चलते किया था। विरोधी ग्रुप का आरोप है कि मौजूदा नेतृत्व विशेषकर सुखबीर बादल पार्टी को पंथक सिद्धांतों से भटका रहे हैं।

पंजाब की पंथक राजनीति में अहम बदलाव हुआ है। ज्ञानी हरप्रीत सिंह को शिरोमणि अकाली दल बागी गुट का नया प्रधान चुन लिया गया है।

श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से गठित की गई भर्ती कमेटी के चुनावी इजलास के दौरान श्री अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सर्वसम्मति से शिरोमणि अकाली दल का अध्यक्ष चुन लिया गया है। ऑल इंडिया सिख स्टूडेंट फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष भाई अमरीक सिंह की बेटी बीबी सतवंत कौर को सर्वसम्मति से सिख काउंसिल की अध्यक्ष चुना गया है।

डेलीगेट इजलास में संता सिंह की ओर से ज्ञानी हरप्रीत सिंह का नाम अध्यक्ष के रूप में पेश किया गया। उनके मुकाबले कोई भी और नाम पेश नहीं हुआ जिस कारण ज्ञानी हरप्रीत सिंह को सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुन लिया गया। यह इजलास अमृतसर स्थित निहंग संगठन बुड्ढा दल के कार्यालय बुर्ज अकाली फुलासर में आयोजित किया जा रहा है।

श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से गठित की गई भर्ती कमेटी का दावा है कि 12 लाख से अधिक सदस्य बनाए गए हैं। करीब 12,000 डेलिगेट्स बनाए हैं। वहीं, अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए करीब 500 डेलिगेट्स चुने हैं। चुनावी इजलास निहंग जत्थेबंदी बुढ्ढा दल की छावनी बुर्ज अकाली फूला सिंह में हुआ।

विरोधी ग्रुप का आरोप है कि मौजूदा नेतृत्व विशेषकर सुखबीर बादल पार्टी को पंथक सिद्धांतों से भटका रहे हैं। यही कारण है कि अकाल तख्त साहिब ने भर्ती कमेटी का गठन किया और अकाली दल का संविधान के अनुसार पुनर्गठन कर नई पार्टी तैयार करने पर सहमति बनी। यदि विद्रोही गुट अपने एजेंडे में सफल रहा है, तो पार्टी के दो धड़े सुखबीर नेतृत्व और नया पंथक धड़ा अलग-अलग राह पर होंगे। इससे शिरोमणि अकाली दल की राजनीति खतरे में पड़ सकती है। इसका प्रभाव 2027 के विधानसभा चुनावों पर पड़ेगा।

ज्ञानी हरप्रीत सिंह के बागी ग्रुप के अध्यक्ष बनने पर शिरोमणि अकाली दल के मुख्य प्रवक्ता वकील अर्शदीप सिंह कलेर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी।

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