मधेपुरा में सेप्टिक टैंक में दम घुटने से दो मजदूरों की मौत, एक की हालत गंभीर

सेप्टिक टैंक में शटरिंग खोलने के दौरान अचानक मजदूरों का दम घुटने लगा। देखते ही देखते दो मजदूरों की मौत हो गई। घटना के बाद इलाके में हड़कंप मच गया।
मधेपुरा के सिंहेश्वर थाना क्षेत्र के गम्हरिया रोड स्थित पुलिस लाइन के सामने शनिवार को निर्माणाधीन मकान में शौचालय की टैंक में शटरिंग खोलने के दौरान दम घुटने से दो मजदूरों की मौत हो गई, जबकि एक की हालत गंभीर बनी हुई है। हादसा विजय भगत के निर्माणाधीन मकान में हुआ। मृतकों की पहचान सिंहेश्वर थाना क्षेत्र के लालपट्टी वार्ड एक निवासी सहदेव यादव के बेटे प्रमोद यादव (55) और बुढ़ाबे निवासी दिलीप चौहान (40) के रूप में की गई है। तीसरे मजदूर का इलाज मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू में चल रहा है।
एक-एक कर उतरे और बेहोश होते गए मजदूर
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार शनिवार सुबह करीब 9 बजे दो मजदूर निर्माणाधीन घर के शौचालय टैंक में शटरिंग खोलने के लिए उतरे थे। काफी देर तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने पर तीसरा मजदूर टैंक में गया लेकिन वह भी बाहर नहीं निकल सका। इसके बाद घर मालिक का स्टाफ मुकेश कुमार रस्सी के सहारे टैंक में उतरा और बेहोश हो गया।
हालांकि उसे तत्काल बाहर निकाल लिया गया और इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी स्थिति सामान्य बताई जा रही है। पुलिस और स्थानीय लोगों की मदद से अन्य तीनों को बाहर निकाला गया और तुरंत मधेपुरा मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने प्रमोद यादव और दिलीप चौहान को मृत घोषित कर दिया। तीसरे मजदूर केटावन निवासी संतोष कुमार का इलाज जारी है।
बिना सुरक्षा उपकरण के टैंक में उतरे थे सभी मजदूर
सिंहेश्वर थानाध्यक्ष वीरेंद्र राम ने बताया कि हादसा सेप्टिक टैंक में शटरिंग खोलने के दौरान दम घुटने से हुआ। दोनों मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया गया है। पुलिस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. अंजनी कुमार ने बताया कि जब सेप्टिक टैंक लंबे समय तक बंद रहता है तो उसमें ऑक्सीजन की कमी और जहरीली गैस का जमाव हो जाता है। ऐसे में बिना सुरक्षा उपकरण अंदर जाने पर दम घुटने की स्थिति बन जाती है।
इसी कारण दो मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई और एक की स्थिति नाजुक बनी हुई है। इधर, हादसे के बाद मृतकों के गांव में मातम पसरा है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के जोखिम भरे कार्यों में भी सुरक्षा उपायों की अनदेखी की जाती है, जो सीधे तौर पर मजदूरों की जान से खिलवाड़ है।