‘मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं, चुनाव कैसे लड़ूंगा?’ तेजस्वी का आरोप

राजद नेता तेजस्वी यादव ने शनिवार को चुनाव आयोग पर बड़ा आरोप लगाया। उन्होंने मतदाता सूची पुनरीक्षण पर सवाल उठाते हुए दावा किया कि मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है। मैं चुनाव कैसे लड़ूंगा? तेजस्वी ने चुनाव के एप को दिखाते हुए कहा कि उनके ईपीआईसी नंबर को सर्च करने पर उनका नाम मतदाता सूची में नहीं आ रहा है।

हालांकि, निर्वाचन आयोग ने तुरंत ही तेजस्वी के दावों को सिरे से खारिज कर दिया। चुनाव आयोग ने कहा कि उनका नाम मतदाता सूची प्रारूप में है। आयोग ने एक मतदान केंद्र की सूची जारी की, जिसमें तेजस्वी का नाम 416वें नंबर पर उनकी तस्वीर के साथ मौजूद है।

तेजस्वी ने और क्या कहा?
इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू यादव के बेटे तेजस्वी ने पटना में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि हर विधानसभा क्षेत्र से लगभग 20 से 30 हजार नाम हटाए गए हैं। कुल मिलाकर लगभग 65 लाख यानी लगभग 8.5% मतदाताओं के नाम सूची से हटाए गए हैं।

चुनाव आयोग जब भी कोई विज्ञापन जारी करता था तो उसमें लिखा होता था कि इतने लोग स्थानांतरित हो गए हैं, इतने लोगों की मृत्यु हो गई है, इतने लोगों के नाम डुप्लीकेट हैं। अब चुनाव आयोग ने हमें जो सूची उपलब्ध कराई है, उसमें उन्होंने बड़ी चालाकी से किसी भी मतदाता का पता, बूथ संख्या और ईपीआईसी नंबर नहीं दिया है, ताकि हम यह पता न लगा सकें कि किन लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए गए हैं।

पूरा मामला समझिए…
दरअसल, विपक्ष मतदाता पुनरीक्षण कार्य शुरू होने के बाद से ही चुनाव आयोग और केंद्र सरकार का विरोध कर रहा है। एक अगस्त को मतदाता सूची प्रारूप का प्रकाशन किया गया था। शनिवार को बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी ने प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्होंने अपना मतदाता पहचान पत्र सार्वजनिक किया। इसके बाद उन्होंने चुनाव आयोग के एप पर ऑनलाइन मतदाता प्रारूप सूची में अपना ईपीआईसी नंबर डालकर सार्वजनिक रूप से नाम खोजने की कोशिश की, लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं मिला।

तेजस्वी ने कहा कि नई मतदाता सूची प्रारूप में उनका नाम ही नहीं है। अब वे चुनाव कैसे लड़ेंगे। चुनाव लड़ने के लिए मतदाता सूची में आपका नाम होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके साथ-साथ बिहार के लाखों गरीबों के साथ अन्याय हुआ है। हम पहले भी कह रहे थे कि चुनाव आयोग गलत कर रहा है। इसका परिणाम सबके सामने है। हालांकि, तुरंत बाद ही निर्वाचन आयोग ने सबूत के साथ आरोपों का खंडन कर दिया।

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