फर्स्ट इन द वर्ल्ड चैलेंज से केंद्र की नई उड़ान, चंद्रयान से प्रेरणा लेकर स्वास्थ्य क्षेत्रों में क्रांति

केंद्र सरकार ने चिकित्सा अनुसंधान में अनूठे शोधों को बढ़ावा देने के लिए ‘फर्स्ट इन द वर्ल्ड चैलेंज’ शुरू किया है। आईसीएमआर की इस पहल के तहत वैज्ञानिक ऐसे शोध प्रस्ताव दे सकते हैं जो दुनिया में पहले कभी नहीं हुए। आवेदन 30 सितंबर तक लिए जाएंगे। वहीं इसका चयन नवंबर में होगा।

चंद्रयान से प्रेरित होकर केंद्र सरकार ने ऐसी पहल को मंजूरी दी है, जिसके तहत भारत के वैज्ञानिकों को टीका से चिकित्सा निदान तक हर क्षेत्र में उन शोधों का मौका दिया जाएगा, जो अब तक दुनिया में कहीं नहीं हुए।

सरकार का कहना है कि चिकित्सा अनुसंधान में असफलता का डर नहीं है, लेकिन भारत को सफलता मिलने पर वैश्विक स्वास्थ्य में क्रांति संभव हो सकती है। केंद्र ने इसके लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को जिम्मेदारी सौंपी है, जिसने देशभर के वैज्ञानिकों और शोध संस्थानों के लिए नई पहल शुरू की है।

इसका नाम फर्स्ट इन द वर्ल्ड चैलेंज दिया है, जिनमें नए टीका, दवाएं, निदान तकनीक, उपकरण या स्वास्थ्य समाधान से संबंधित शोध शामिल हैं। इच्छुक वैज्ञानिक व संस्थाएं इसके लिए 30 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। चयन नवंबर में होगा। आईसीएमआर ने इस पहल को चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता से जोड़ते हुए कहा है, जैसे भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरकर इतिहास रचा, वैसे ही स्वास्थ्य क्षेत्र में हमें ऐसे नवाचारों की जरूरत है।

क्या कहना है वैज्ञानिकों का?
आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक का मानना है कि स्वास्थ्य अनुसंधान में जोखिम उठाना आवश्यक है। यदि 10 में से 9 विचार विफल भी हों, तो एक सफल विचार ऐतिहासिक बदलाव ला सकता है। यह मंच भारत को स्वास्थ्य नवाचार के मानचित्र पर अग्रणी बना सकता है, इसलिए युवा शोधकर्ताओं और स्टार्टअप्स को आगे आना चाहिए।

कितना फंड और किस प्रकार के प्रोजेक्ट?
आईसीएमआर ने तीन श्रेणियों में वैज्ञानिकों से नए शोध मांगे हैं, जिनमें पहला प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट यानी विचार के प्रारंभिक चरण है जिसके लिए अधिकतम दो वर्ष अवधि तय की है और शोध के लिए एक करोड़ तक दिया जाएगा। इसी तरह प्रोटोटाइप विकास यानी किसी उत्पाद के प्रोटोटाइप बनाने के लिए तीन साल का समय और चार करोड़ रुपये तक मिलेंगे। मॉडल विकास यानी किसी नए उत्पाद की खोज के लिए आठ करोड़ और चार वर्ष का समय तय किया है।

सभी मेडिकल कॉलेजों के लिए मौका
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि सरकार की इस पहल में शामिल होने के लिए देश के सभी मेडिकल कॉलेजों के पास बेहतर अवसर है। नए शोध के लिए न सिर्फ उन्हें संसाधन उपलब्ध कराए जाएंगे बल्कि वैश्विक स्तर पर संस्थान को पहचान भी मिलेगी। मेडिकल कॉलेज के अलावा देश के सभी विश्वविद्यालय और मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएं भी शामिल हो सकती हैं।

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