‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ विषय पर कार्यशाला आयोजित, सीएम योगी ने किया शुभारंभ!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ कार्यशाला का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि के बिना खुशहाली नहीं आ सकती है। दुग्ध उत्पादन में यूपी शीर्ष पर है। प्रदेश में 14 लाख से अधिक गोवंश की देखभाल हो रही है। सरकार पशुधन को एफएमडी मुक्त बनाकर पशुपालकों के जीवन में खुशहाली लाने में योगदान करेगी।
राजधानी लखनऊ में शनिवार को ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का आयोजन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान के हाल में किया गया। सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसका शुभारंभ किया। साथ ही गोरखपुर के कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान तथा पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के तहत यूपी में तीन प्रोजेक्ट (अमेठी, बरेली व मथुरा) का बटन दबाकर उद्घाटन किया। अतिथियों ने पुस्तिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में योगी सरकार में पशुधन, दुग्ध विकास एवं राजनैतिक पेंशन विभाग के मंत्री धर्मपाल सिंह, केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बंघेल, केंद्रीय राज्यमंत्री जॉर्ज कुरियन मौजूद रहे।
इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भारत कृषि प्रधान देश है। किसान की समृद्धि के बिना खुशहाली नहीं आ सकती। भारत में कृषि व पशुधन एक-दूसरे से जुड़े रहे हैं। अन्नदाता किसान के घर में पशुधन होगा और पशुपालक भी खेतीबाड़ी से अवश्य जुड़ा होगा। इनके आपसी संबंध को ध्यान में रखते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व में 11 वर्ष में किसानों की खुशहाली व समृद्धि के लिए बढ़ाए गए कदम अत्यंत महत्वपूर्ण व सराहनीय हैं। डबल इंजन सरकार की ऊर्जा का लाभ यूपी ने लिया है। यूपी दुग्ध उत्पादन में देश में नंबर एक पर है।
बहुत सारी स्थानीय नस्लें लुप्तप्राय की ओर हैं
सीएम योगी ने एफएमडी बीमारी (खुरपका-मुंहपका) की चुनौतियों का जिक्र किया। कहा कि एफएमडी के वैक्सीनेशन कार्यक्रम प्रारंभ हुए, फिर बीच में उसे रोका गया। पशुधन का असर वहां के क्लाइमेटिक जोन, उसके पालन, रखरखाव, नस्ल पर भी प्रभाव पड़ता है।
यूपी के अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग गोवंश दिखेंगे। स्थानीय स्तर पर देसी पद्धतियों से जिन्होंने नस्ल को सुधारने के लिए प्रयास किए, उन्होंने अच्छी नस्ल को बढ़ाने में सफलता प्राप्त कर ली। जो लोग प्रयास नहीं कर पाए, वहां पशुधन काफी पिछड़ा हुआ था। आज के समय में बहुत सारी स्थानीय नस्लें लुप्तप्राय की ओर हैं। उन पर ध्यान देंगे तो पशुपालकों को स्थायी समृद्ध निधि दे सकते हैं।
सीएम ने आगे कहा कि झांसी के बलिनी, गोरखपुर, आगरा, काशी समेत यूपी में पांच मिल्क प्रोड्यूसर कार्यरत हैं। इससे लाखों महिलाएं जुड़ी हैं, जो समितियों के माध्यम से दुग्ध कलेक्शन, आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करती हैं। पशुपालन की अच्छी नस्ल की भी चिंता करती हैं।
10 हजार से अधिक परिवारों को एक-एक गाय दे रखी है
तीन स्कीम का जिक्र करते हुए सीएम ने बताया कि सरकार 12 लाख गोवंशों की देखभाल अपने निराश्रित गोआश्रय स्थल के माध्यम से करती है। दूसरी स्कीम-सहभागिता योजना के माध्यम से चालू की गई है। हम किसी भी पशुपालक को चार गोवंश तक देते हैं। उसकी देखभाल के लिए हर महीने 1500 रुपये प्रति गोवंश देते हैं।
इसमें लगभग दो लाख से अधिक पशुधन 1.25 लाख किसानों के पास है। तीसरी स्कीम-कुपोषित परिवारों को निराश्रित गोआश्रय स्थल से बियाई हुई गाय देते हैं। 10 हजार से अधिक परिवारों को एक-एक गाय दे रखी है। 1500 रुपये हर महीने रुपये गाय की सेवा के लिए उपलब्ध कराते हैं। इससे गोवंश के संरक्षण व संवर्धन को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है।