ये है भारत की पहली ‘डॉग पेंटर’! वॉटरकलर से अब तक बना चुकी 37 से ज्यादा पेंटिंग

हैदराबाद के मणिकोंडा इलाके में एक अनोखी कलाकार रहती है– नाम है ‘दाली’. दो साल की ये लैब्राडोर डॉगी आज देश की पहली वॉटरकलर पेंटिंग करने वाली कुत्तिया मानी जाती है. लेकिन दाली की शुरुआत बहुत दर्दभरी थी. सिर्फ 45 दिन की उम्र में उसे एक जगह बांधकर छोड़ दिया गया था. उसी हालत में एक कपल- स्नेहांशु देबनाथ और होई चौधरी ने उसे रेस्क्यू किया और गोद ले लिया. उन्होंने हाल ही में अपने पुराने डॉगी ‘पाब्लो’ को खोया था, और दाली अब उनके लिए एक साथी से भी बढ़कर बन गई.
ऐसे दिखी पेंटिंग में दिलचस्पी
होई खुद एक आर्टिस्ट हैं. उन्होंने बताया कि एक दिन दाली स्टूडियो में आई और आसपास की चीज़ों को ध्यान से देखने लगी. होई को लगा कि दाली भी इस क्रिएटिव प्रोसेस का हिस्सा बनना चाहती है. इसके बाद उन्होंने दाली के लिए एक खास ब्रश बनाया जो उसके मुंह में आराम से आ सके. और फिर सात महीने की उम्र में दाली ने पहली बार वॉटरकलर में ब्रश डुबोकर अपनी पहली पेंटिंग बना दी.
कोई ट्रेनिंग नहीं, खेल-खेल में बनाई पेंटिंग
होई बताती हैं कि दाली को कभी किसी तरह की ट्रेनिंग नहीं दी गई. सब कुछ उसके खुद के जिज्ञासा और खेलने के तरीके से होता है. अब तक दाली 37 से ज्यादा एब्स्ट्रैक्ट आर्टवर्क बना चुकी है. ये पेंटिंग्स वो बिना किसी दबाव के बस मस्ती-मस्ती में बनाती है.
2024 में दाली की 12 पेंटिंग्स को एक कैलेंडर में छापा गया. इस कैलेंडर की बिक्री से 35,000 रुपये इकट्ठा हुए, जो ‘मार्ग’ नाम की हैदराबाद की एक एनिमल रेस्क्यू संस्था को दिए गए. हैरानी की बात ये है कि इस कैलेंडर की डिमांड अमेरिका, कनाडा, चीन और थाईलैंड जैसे देशों से भी आई.
पानी से लगाव, और पेंटिंग्स में दिखता है उसका असर
होई बताती हैं कि दाली को पानी से बहुत प्यार है, और वॉटरकलर की पेंटिंग उसी की तरह होती है—बेहद फ्लोइंग और अनप्रेडिक्टेबल. इसलिए दाली को ये मीडियम बहुत पसंद आया.
दाली एक एक्टिव डॉगी है. उसे तैरना पसंद है, फल खाना पसंद है, घूमना और मस्ती करना पसंद है. उसके साथ उसका छोटा डॉगी भाई ‘मिरो’ भी है, जो खुद भी एक रेस्क्यू डॉगी है. दोनों मिलकर खूब शरारत करते हैं.
अब होने जा रही है दाली की पहली आर्ट एग्जिबिशन
हालांकि अभी तक जानवरों के लिए कोई पेंटिंग कॉन्टेस्ट नहीं होते, लेकिन दाली के परिवार ने उसकी पहली आर्ट एग्जिबिशन की तैयारी शुरू कर दी है. इसमें उसकी पेंटिंग्स को बिलकुल किसी प्रोफेशनल आर्टिस्ट की तरह डिस्प्ले किया जाएगा. होई कहती हैं, “उसे ये पता चल जाता है जब लोग उसे देख रहे होते हैं, लेकिन उसे कोई दबाव नहीं होता. वो पेंटिंग सिर्फ इसलिए करती है क्योंकि उसे इसमें मजा आता है.”