ड्रोन बनाने के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा भारत

ड्रोन के आयातित कलपुर्जों पर निर्भरता कम करने और चीन व तुर्किये की मदद पर आश्रित पाकिस्तान के ड्रोन कार्यक्रम का मुकाबला करने के लिए भारत नागरिक और सैन्य ड्रोन निर्माताओं के लिए 20 अरब रुपये (23.4 करोड़ डॉलर) का प्रोत्साहन कार्यक्रम शुरू करेगा।

अब दोनों देश ड्रोन हथियारों की दौड़ में उलझे
मई में पाकिस्तान के साथ चार दिवसीय संघर्ष के बाद भारत अधिक-अधिक स्वदेशी ड्रोन बनाने का प्रयास कर रहा है। इस संघर्ष के दौरान दोनों देशों ने एक-दूसरे के विरुद्ध बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया था। अब दोनों देश ड्रोन हथियारों की दौड़ में उलझे हुए हैं।

दो सरकारी और एक उद्योग के सूत्र ने बताया कि भारत तीन वर्ष के लिए 20 अरब रुपये का कार्यक्रम शुरू करेगा, जिसमें ड्रोन के साथ-साथ उसके कलपुर्जों, साफ्टवेयर और काउंटर ड्रोन सिस्टम का निर्माण शामिल होगा। भारत का नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस प्रोत्साहन कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है।

भारत ने इजरायल से सैन्य ड्रोन आयात किए
अतीत में भारत ने मुख्य रूप से अपने तीसरे सबसे बड़े हथियार आपूर्तिकर्ता इजरायल से सैन्य ड्रोन आयात किए हैं। लेकिन हाल के वर्षों में भारत के ड्रोन उद्योग ने अपने किफायती उत्पादन को बढ़ाया है जिनमें सैन्य ड्रोन शामिल हैं।

हालांकि मोटर्स, सेंसर्स और इमेजिंग सिस्टम जैसे कुछ कलपुर्जों के लिए चीन पर निर्भरता जारी है। दो सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रोत्साहनों के जरिये भारत का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2028 (अप्रैल-मार्च) के अंत तक देश में ड्रोन के कम से कम 40 प्रतिशत प्रमुख कलपुर्जों को बनाना है।

स्वदेशीकरण प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता
रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने पिछले सप्ताह कहा था, ”(भारत-पाकिस्तान) संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों की ओर से ड्रोन, लोटरिंग म्यूनिशन और कामिकेज ड्रोन का काफी उपयोग किया गया था। हमने जो सबक सीखा है, वह यह है कि हमें अपने स्वदेशीकरण प्रयासों को दोगुना करने की आवश्यकता है ताकि हम एक बड़ा और प्रभावी सैन्य ड्रोन निर्माण पारिस्थितिकी तंत्र बना सकें।”

भारत में 600 से अधिक ड्रोन विनिर्माण और संबद्ध कंपनियां
सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत ड्रोन आयात पर प्रतिबंध लगाता है, लेकिन उनके कलपुर्जों पर नहीं और सरकार ने स्वदेशी कलपुर्जों की खरीद के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन की योजना बनाई है। अनुमानों के अनुसार, अभी भारत में 600 से अधिक ड्रोन विनिर्माण और संबद्ध कंपनियां हैं।

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