पैदा होते ही पेट के अंदर से गायब था गर्भ, अब ‘किराये की कोख’ से मां बनेगी महिला, खुद कराएगी डिलीवरी!

हर महिला की चाहत होती है कि उसकी अपनी संतान हो, जिसे वह अपना दुलार दे सके, जिसे अपनी गोद में भरकर मातृत्व का सुख महसूस कर सके. लेकिन कई महिलाओं का मां बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता. कुछ को शारीरिक बाधाएं रोक देती हैं. ऐसी ही एक कहानी है जॉर्जिया बैरिंगटन (Georgia Barrington) की, एक प्रसव सहायक (मिडवाइफ) जो दूसरों के बच्चों को पैदा करवाने में मदद करती हैं, लेकिन जन्म से गर्भाशय न होने के कारण वे खुद कभी गर्भधारण नहीं कर सकती थीं. लेकिन अब उनके मां बनने का सपना ‘किराए की कोख’ यानी सरोगेसी से पूरा होने वाला है. जॉर्जिया अपनी सबसे अच्छी दोस्त की मदद से न केवल मां बनने वाली हैं, बल्कि वह खुद अपने बच्चे को दुनिया में लाने वाली हैं, यानी उसकी डिलीवरी भी कराएंगी!
बता दें कि 28 वर्षीय जॉर्जिया को 15 साल की उम्र में मेयर-रोकिटान्स्की-कुस्टर-हॉज़र (MRKH) सिंड्रोम का पता चला था, जिसका मतलब था कि वे गर्भाशय के बिना पैदा हुई थीं. बचपन से मां बनने का सपना देखने वाली जॉर्जिया के लिए यह एक बड़ा सदमा था. हालांकि, उनकी 29 वर्षीय बचपन की दोस्त डेजी होप (Daisy Hope) ने मज़ाक में ही एक बार कहा था कि वह उनके बच्चे को जन्म देंगी और यह बात हमेशा जॉर्जिया के दिल में बसी रही. जब डेजी ने अपनी बेटी एमिलिया को जन्म दिया, तो उन्होंने जॉर्जिया को मां बनने का “अनुभव” कराने के लिए सरोगेट बनने का प्रस्ताव फिर से दिया. जॉर्जिया ने तुरंत इस बात को स्वीकार कर लिया और प्रोसीजर शुरू कर दिया.
चिकित्सकों ने सबसे पहले जॉर्जिया के एग्स और उनके 31 वर्षीय पार्टनर लॉयड विलियम्स के स्पर्म से भ्रूण निषेचित कर डेजी में प्रत्यारोपित किए. IVF के लिए उन्हें £15,000 (लगभग ₹15.8 लाख) खर्च करने पड़े. हालांकि, जॉर्जिया को NHS से £5,000 (लगभग ₹5.2 लाख) की फंडिंग भी मिल गई. ऐसे में फरवरी 2025 में दूसरे प्रयास में डेजी गर्भवती हुईं. लेकिन सात सप्ताह में बच्चे की प्रगति सामान्य न होने के कारण नौवें हफ्ते में गर्भपात हो गया. डेजी का दूसरा भ्रूण ट्रांसफर 31 जनवरी 2025 को हुआ और इस बार सफलता मिली. जॉर्जिया ने बताया कि प्रसव सहायक होने के कारण वे काफी चिंतित थीं, क्योंकि उन्हें दुर्भाग्यपूर्ण मामलों का ज्यादा अनुभव था. लेकिन अब सबकुछ ठीक है.