कन्वर्जन शुल्क न रोका जा सकता न ही सीलिंग, एमसीडी आयुक्त की रिपोर्ट ने बताईं MCD की सीमाएं

एमसीडी आयुक्त की हालिया रिपोर्ट ने कन्वर्जन प्रभार, पार्किंग शुल्क और दुकानों की सीलिंग से जुड़ी कार्रवाई पर अपनी सीमाएं बताईं। उन्होंने रिपोर्ट में साफ कहा कि एमसीडी के पास इन प्रभारों को हटाने या कार्रवाई पर रोक लगाने का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। यह पूरी व्यवस्था दिल्ली विकास प्राधिकरण के माध्यम से केंद्र सरकार की मंजूरी से अधिसूचित मास्टर प्लान दिल्ली-2021 के अधीन संचालित होती है। एमसीडी महज अनुपालक संस्था है।

आयुक्त नेे स्थायी समिति के समक्ष यह रिपोर्ट तीन प्रस्तावों के जवाब में पेश की है। यह प्रस्ताव वर्ष 2023 में आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने पारित करवाए थे। इन प्रस्तावों में व्यापारियों को राहत देने के नाम पर नोटिस भेजने और सीलिंग की कार्रवाइयों पर तत्काल रोक की मांग की गई थी। रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि कन्वर्जन और पार्किंग प्रभारों की दरें और शर्तें केवल डीडीए और केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों का मंत्रालय तय करता है। एमसीडी को इनमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन करने का अधिकार नहीं है। मास्टर प्लान के प्रावधानों में कोई भी छेड़छाड़ केवल केंद्र सरकार की अधिसूचना के माध्यम से ही संभव है।

यह थे तीन प्रस्ताव
मार्च 2023 में आम आदमी पार्टी के पार्षद रविन्द्र भारद्वाज, प्रेम चौहान और मुकेश गोयल ने तीन प्रस्ताव एमसीडी सदन में बजट पास करने के दौरान पास कराए थे। इन प्रस्तावों में यह मांग थी कि जब तक पारदर्शी नीति न बन जाए, तब तक कन्वर्जन शुल्क और सीलिंग नोटिसों पर रोक लगाई जाए। उस समय सत्तारूढ़ आप ने इसे व्यापारियों और छोटे व्यावसायियों के हित में बड़ा कदम बताया था, लेकिन अब आयुक्त की रिपोर्ट ने उन प्रस्तावों की व्यवहारिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

डीडीए के पास भेजने चाहिए थे प्रस्ताव
एमसीडी में नेता प्रतिपक्ष और आप के वरिष्ठ पार्षद अंकुश नारंग ने आयुक्त के रुख पर दोहरे तौर पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि एक ओर आयुक्त ने सवा दो साल बाद रिपोर्ट प्रस्तुत की है। यह प्रस्ताव सदन में पास हुए थे तो वे सदन में अपनी रिपोर्ट बहुत पहले प्रस्तुत कर सकते थे, वहीं दूसरी ओर प्रस्ताव एमसीडी के लिए अपने स्तर पर लागू करना असंभव है और इन प्रस्तावों को लागू करने की प्रक्रिया डीडीए को पूरी करनी है तो आयुक्त को यह प्रस्ताव डीडीए के पास भेजने चाहिए थे।

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