भाषा विरोध में एक हुए ठाकरे भाई, बोले- महाराष्ट्र में हिंदी नहीं थोपने देंगे

शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने गुरुवार को कहा कि वे राज्य के छात्रों पर हिंदी थोपने के सभी प्रयासों का विरोध करेंगे। अलग-अलग प्रेस कान्फ्रेंस को संबोधित करते हुए शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने विरोध प्रदर्शन की घोषणा की।
भाजपा मराठी भाषी राज्य में ”भाषा आपातकाल” लगाने की कोशिश कर रही
उद्धव ने कहा कि भाजपा मराठी भाषी राज्य में ”भाषा आपातकाल” लगाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी हिंदी के विरोध में नहीं है, बल्कि इसे लागू करने के खिलाफ है।
उद्धव ठाकरे बोले- हम हिंदी थोपे जाने का विरोध करते हैं
उद्धव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम किसी भाषा का विरोध या उससे नफरत नहीं करते, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हम किसी भी भाषा को थोपने की अनुमति देंगे। हम हिंदी थोपे जाने का विरोध करते हैं और यह जारी रहेगा। यदि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस घोषणा करते हैं कि राज्य के स्कूलों में हिंदी अनिवार्य नहीं की जाएगी तो विवादास्पद भाषा का मुद्दा हल हो सकता है।
उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी स्कूलों में त्रि-भाषा फार्मूले और हिंदी थोपे जाने के खिलाफ सात जुलाई को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में नागरिक समाज के सदस्यों द्वारा आयोजित प्रदर्शन में भाग लेगी।
एकनाथ शिंदे पर किया कटाक्ष
उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि ‘गद्दारों’ को पार्टी के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे के आदर्शों के बारे में याद दिलाना चाहिए। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी छह जुलाई को एक मार्च निकालेगी। लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह विरोध प्रदर्शन किसी भी पार्टी के मंच से नहीं होगा।
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि हिंदी वैकल्पिक है, जबकि मराठी अनिवार्य
स्कूली पाठ्यक्रम में तीसरी भाषा के विवाद पर मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि हिंदी वैकल्पिक है, जबकि मराठी अनिवार्य है।गौरतलब है कि राज्य सरकार ने पिछले सप्ताह एक संशोधित आदेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के छात्रों को हिंदी सामान्यत: तीसरी भाषा के रूप में पढ़ाई जाएगी, जिसके बाद विवाद पैदा हो गया।
युवा छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं : शरद पवार
राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि हिंदी को कक्षा एक से अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए। प्राथमिक स्तर पर युवा छात्रों पर अतिरिक्त भाषाओं का बोझ डालना उचित नहीं है। पवार ने कहा कि देश का एक बड़ा वर्ग हिंदी बोलता है। इस भाषा को पूरी तरह से नजरअंदाज करने का कोई कारण नहीं है।