रिटायर्ड सर्जन को दो दिन किया डिजिटल अरेस्ट, जाली आदेश दिखाया… 2.2 करोड़ ठगे

स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक आपरेशंस (आइएफएसओ) यूनिट ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम चलाने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने गिरोह के दो आरोपी को गिरफ्तार किया। आरोपी की पहचान आनंद विहार निवासी अमित शर्मा राहुल (42) और असम के उदलगुरी के निवासी हरि स्वर्गीयरी (27) के रूप में हुई। साथ ही, आरोपियों के पास से तीन मोबाइल फोन और सिम कार्ड भी मिले।
ठगी के बाद की शिकायत
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारी बनकर आरोपियों ने पीड़ित को कॉल कर उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज होने की फर्जी सूचना दी थी। गिरफ्तारी का भय दिखाकर बाद में वीडियो काल के माध्यम से उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया था। दो दिनों तक उन्हें डिजिटल अरेस्ट करके रखा गया। मोटी रकम वसूलने के बाद डिजिटल अरेस्ट से मुक्त करते ही उन्होंने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर काल कर शिकायत कर दी थी। इससे आरोपियों के कुछ बैंक खाते फ्रिज हो गए थे। जिससे बाद में पुलिस ने उन्हें 2.2 करोड़ रुपये की रकम वापस दिलाई। डिजिटल अरेस्ट के नाम पर रैकेट चलाने वाले इस अंतरराष्ट्रीय सिंडिकेट के अन्य सदस्यों को पकड़ने का प्रयास जारी है।
92 वर्षीय सेवानिवृत्त सर्जन को किया डिजिटल अरेस्ट
पुलिस उपायुक्त डॉ. हेमंत तिवारी ने बताया कि 15 मार्च को एक 92 वर्षीय सेवानिवृत्त सर्जन ने स्पेशल सेल की आईएफएसओ यूनिट में शिकायत दर्ज कराई गई थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि 12 मार्च को उन्हें विभिन्न नंबरों से कई अवांछित कॉल आए। कॉल करने वालों ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) और महाराष्ट्र पुलिस के अधिकारियों के रूप में खुद को पेश किया।
आरोपियों ने दिखाया कोर्ट का जाली आदेश
साथ ही, झूठा दावा किया कि शिकायतकर्ता के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। आरोपियों ने गिरफ्तारी की धमकी दी गई और बाद में वीडियो कॉल के माध्यम से डिजिटल अरेस्ट किया। आरोपियों ने पीड़ित को कोर्ट का जाली आदेश दिखाकर झूठी प्रक्रिया में भाग लेने के लिए मजबूर किया। इसे आरोपियों ने आभासी सुनवाई कहा था।
लेकिन, वास्तव में वह नकली कार्रवाई थी। बुरी तरह से डराने के बाद धोखेबाजों ने उन्हें तीन बैंक खाते उपलब्ध करवा उनमें पैसे डालने को कहा। अपराध की गंभीरता को देखते हुए टीम गठित की गई। टीम ने बैंक खातों का विवरण प्राप्त कर जांच की। डिजिटल फुटप्रिंट और तकनीकी निगरानी के माध्यम से ठगों व बैंक खातों का संचालन करने वाले आरोपियों की पहचान की गई।
इसके बाद, गाजियाबाद में छापा मारकर अमित शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे पूछताछ के बाद खाता हैंडलर हरी स्वर्गियारी को गुवाहाटी, असम से गिरफ्तार कर लिया गया। इस सिंडिकेट के सदस्य पुलिस, सीबीआई, कस्टम और अन्य सरकारी निकायों के अधिकारियों के रूप में खुद को पेश करते थे। वे पीड़ितों को सूचित करते थे कि उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई है।