बिहार: ई-स्पोर्ट्स ने ‘खेलो इंडिया यूथ गेम्स’ में किया ऐतिहासिक पदार्पण

भारत में ई-स्पोर्ट्स को पारंपरिक खेलों की तरह मान्यता देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। BGMI में बिहार की दो टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया। बिहार की एक टीम ने पहला और दूसरी ने तीसरा स्थान पाया, जबकि तमिलनाडु की ए टीम दूसरे स्थान पर रही।
भारत में ई-स्पोर्ट्स को बड़ा मान मिला जब इसे पहली बार खेलो इंडिया यूथ गेम्स के सातवें संस्करण में डेमो गेम के तौर पर शामिल किया गया। इस मौके पर मेजबान बिहार ने शानदार खेल दिखाया और कई कैटेगरी में टॉप-3 में जगह बनाकर यह साबित कर दिया कि बिहार ई-स्पोर्ट्स का नया हब बन रहा है।
डेमो गेम्स में आठ राज्यों ने भाग लिया। इसमें बैटल ग्राउंड्स मोबाइल इंडिया शतरंज, स्ट्रीट फाइटर 6 और ई-फुटबॉल जैसे खेल शामिल थे। यह कदम भारत में ई-स्पोर्ट्स को पारंपरिक खेलों की तरह मान्यता देने की दिशा में अहम माना जा रहा है। BGMI में बिहार की दो टीमों ने शानदार प्रदर्शन किया। बिहार की एक टीम ने पहला और दूसरी ने तीसरा स्थान पाया, जबकि तमिलनाडु की ए टीम दूसरे स्थान पर रही।
ई-फुटबॉल (कंसोल वर्ग) में तमिलनाडु के अर्णव राजीव पारिख पहले, बिहार के तनव राज दूसरे और महाराष्ट्र के रोनित सागर सतम तीसरे स्थान पर रहे। शतरंज में भी बिहार का दबदबा रहा। बिहार के रुपेश बी रामचंद्र पहले और अमृत रौनक दूसरे स्थान पर रहे, जबकि महाराष्ट्र के मोहित थानवी तीसरे स्थान पर आए। स्ट्रीट फाइटर 6 में तेलंगाना के मंडलापु श्रीजेश विजेता बने। महाराष्ट्र के पार्थ पवार दूसरे और बिहार के रोहित कुमार तीसरे स्थान पर रहे।
ई-फुटबॉल (मोबाइल कैटेगरी) में नागालैंड के लैमगूहाओ किपगेन ने अरुणाचल प्रदेश के जिपिन गोंगो को हराकर पहला स्थान हासिल किया, जबकि महाराष्ट्र के पार्थ वरेकर तीसरे स्थान पर रहे। इस आयोजन को बिहार सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण का समर्थन मिला। इसका आयोजन फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक स्पोर्ट्स एसोसिएशन्स ऑफ इंडिया ने किया था और राष्ट्रीय स्तर की क्वालिफायर प्रतियोगिता 25 अप्रैल को हुई थी।
इस मौके पर FEAI के संस्थापक वैभव डांगे ने कहा कि यह एक शानदार शुरुआत है। हम SAI और बिहार सरकार के आभारी हैं कि उन्होंने ई-स्पोर्ट्स को खेलो इंडिया का हिस्सा बनाया।” FEAI के सह-संस्थापक अभिषेक इस्सर ने कहा कि 2027 में होने वाले प्रस्तावित ई-स्पोर्ट्स वर्ल्ड कप के लिहाज से यह मंच नई प्रतिभाओं की खोज और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का शानदार मौका है।