जीएसटी से नहीं मिलेगी छात्रों को राहत, बढ़ेगा पढ़ाई का खर्च

कई लोगों को लग रहा है कि एक जुलाई से लागू होने जा रहा गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) से छात्रों को कोई परेशानी नहीं होगी। मगर, यह पूरी तरह से सही नहीं है। शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी जाने वाली कई सेवाओं को छूट दी जाएगी। छात्रों के रोजमर्रा में उपयोग होने वाले कुछ सामान जैसे स्कूल बैग, रंगीन किताबें और नोटबुक सस्ते हो जाएंगे।

जीएसटी से नहीं मिलेगी छात्रों

मगर, कई तरीकों से कुल मिलाकर पढ़ाई महंगी हो जाएगी। अधिकांश बच्चों को पढ़ाई के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे। सबसे ज्यादा असर शैक्षणिक संस्थानों द्वारा दी जाने वाली सेवाओं पर लगने वाले कर से होगा। अधिकांश शैक्षणिक संस्थान थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर से सेवाएं लेते हैं, जिनमें सुरक्षा, परिवहन, खानपान और हाउसकीपिंग जैसी सेवाएं शामिल हैं। अब इन पर 18 फीसद की दर से जीएसटी लगेगा, जबकि वर्तमान में तीन फीसद कर लगता है।

इसका असर बढ़ी हुई फीस के रूप में दिखेगा। इसे एक उदाहरण से ऐसे समझा जा सकता है कि यदि कोई छात्र शीर्ष कॉलेज में कोर्स के लिए एक साल में एक लाख रुपए का भुगतान करता है, तो वर्तमान में वह 3,000 रुपए बतौर कर देता है। मगर, 1 जुलाई के बाद से उन्हें टैक्स के रूप में 15,000 रुपए का अधिक भुगतान करना होगा।

जीएसटी लागू होते ही पैदा होंगी एक लाख से ज्यादा नई नौकरियां

हालांकि, प्री-स्कूल से लेकर उच्च माध्यमिक या समकक्ष संस्थानों के छात्रों को परिवहन, खान-पान और सिक्योरिटी के रूप में मिलने वाली सेवाओं को कर से छूट दी गई है। मगर, उच्च शिक्षा संस्थानों को इन सेवाओं पर कर का भुगतान करना होगा। कैंपस के अंदर कपड़े धोने, हॉस्टल मेस के खाने, दवाओं, स्टेशनरी और अन्य सेवाओं व उत्पादों पर छात्रों को अधिक भुगतान करना होगा।

इस तरह की सभी सेवाओं पर अब 18 प्रतिशत टैक्स लगेगा। साल 2012 से लेकर अप्रैल 2017 तक ऐसी सेवाओं से कर को हटा लिया गया था और बाद में इन पर तीन फीसद कर लगाया गया था। जीएसटी परिषद ने पारंपरिक कोर्स को कर के दायरे से बाहर रखा है। मगर, गैर-पारंपरिक पाठ्यक्रमों, सर्टिफिकेट कोर्स और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स पर कर बढ़ाकर 14 से 18 फीसद कर दिया गया है। विदेशी कॉलेजों में प्रवेश के लिए टेस्ट और परीक्षाएं भी जीएसटी के अधीन होंगी।

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