सावधानी हटी, पर्यटक मरे: बायसरन आतंकी हमले के सबक पर सबकी निगाहें, 26 जानें गईं

पहलगाम आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या के बाद केंद्र सरकार ने सुरक्षा चूक स्वीकारते हुए कश्मीर में नई रणनीति और सख्त सुरक्षा ग्रिड तैयार करने की प्रक्रिया तेज कर दी है।
कश्मीर के बायसरन (पहलगाम) में आतंकी हमले में पर्यटकों की हत्या के बाद से जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा रणनीति लगातार सवालों के घेरे में है। केंद्र की ओर से सुरक्षा चूक स्वीकार करने के बाद रणनीति में बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही है। इस बीच, रक्षा विशेषज्ञ कई ऐसे मुद्दों की ओर ध्यान खींच रहे हैं, जिन पर नई नीति बनाते समय गंभीरता से विचार करना जरूरी है।
दिल्ली से जम्मू और श्रीनगर तक हुई सुरक्षा समीक्षा बैठकें
केंद्र सरकार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति की बात करती रही है। इसके लिए दिल्ली से जम्मू और श्रीनगर तक शीर्ष स्तर की बैठकें होती रही हैं। पिछले एक साल के भीतर सात बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन आतंकी गतिविधियों पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है।
जम्मू संभाग में नियमित अंतराल पर होने वाली घटनाओं के बीच सबसे गंभीर बात यह है कि आतंकी हमले के बाद हमलावर गायब हो जाते हैं और उनका पता नहीं चल पाता। आतंकियों द्वारा पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या ने सुरक्षा संबंधी चिंताओं को और बढ़ा दिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरी बार शपथ ग्रहण के दिन श्रद्धालुओं की बस पर हुए आतंकी हमले के बाद से, पिछले एक साल में आतंकी गतिविधियों का विश्लेषण करने पर कुछ प्रमुख बिंदु सामने आए हैं, जिन पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।
आतंकी नेटवर्क से जुड़े लोगों की पहचान और कड़ी कार्रवाई
सुरक्षा से जुड़ी जानकारी देने वालों की गोपनीयता बनाए रखनी चाहिए और आवश्यकतानुसार उन्हें सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए। कई स्थानीय लोग एजेंसियों की कार्रवाई के डर से आतंकियों के बारे में जानकारी साझा करने से हिचकिचाते हैं। वीडीजी (विलेज डिफेंस गार्ड) और स्थानीय पुलिस के बीच नियमित संवाद और भरोसा बढ़ाने की जरूरत है।
पुलिस और खुफिया एजेंसियों के बीच सूचनाओं का नियमित साझाकरण सुनिश्चित किया जाना चाहिए। स्थानीय पुलिस, अर्धसैनिक बलों और सेना के बीच बेहतर समन्वय की आवश्यकता है। आतंकी नेटवर्क से जुड़े लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई जारी रखनी होगी।
पर्यटक और प्रवासी लंबे समय से आतंकियों के निशाने पर रहे हैं। ऐसे में, इनसे जुड़े सभी छोटे-बड़े स्थानों की पहचान कर उनके लिए एक मजबूत सुरक्षा ग्रिड तैयार करना और उसे लागू करना आवश्यक है। कुछ घटनाएं यह भी दर्शाती हैं कि आतंकियों की पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में मौजूदगी बनी हुई है। ऐसे क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की पहुंच सुनिश्चित करना और वहां स्थायी रूप से नियंत्रण बनाए रखना जरूरी है।
पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की स्थायी तैनाती
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि एक और महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि कई घटनाओं में सुरक्षा तंत्र के भीतर के लोगों द्वारा मुखबिरी की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इनमें पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या की घटना भी शामिल है। बिना किसी पूर्वाग्रह के, सरकारी तंत्र में घुसे भेदियों की पहचान कर उन्हें बाहर करने की कार्रवाई जारी रखनी होगी।
सुरक्षा रणनीति में सुधार की आवश्यकता
रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर विजय सागर (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि बायसरन जैसा पर्यटक स्थल, जहां प्रतिदिन हजारों पर्यटक आते-जाते हैं, वहां सुरक्षाकर्मियों की पर्याप्त तैनाती न होना प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि पुलिस, सेना, सीआरपीएफ और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को बेहतर तालमेल के साथ काम करना होगा और खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा। कर्नल सुशील पठानिया (सेवानिवृत्त) कहते हैं कि अन्य जरूरी कदमों के साथ-साथ सुरक्षा रणनीति में बड़े बदलाव की आवश्यकता है।
पुलिस को अन्य सुरक्षा एजेंसियों के साथ खुफिया जानकारी साझा करनी होगी। 1990 के दशक में जम्मू संभाग से आतंकवाद को खत्म करने में सेना की भूमिका अहम थी। आतंकवाद के खिलाफ सेना की भूमिका को और बढ़ाना होगा।
आतंक प्रभावित जिलों में सुरक्षा ग्रिड मजबूत करने की कवायद शुरू
अमरनाथ यात्रा से पहले जम्मू संभाग में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने की तैयारी शुरू हो गई है। आईजी जम्मू जोन, भीम सेन टुटी, पिछले 15 दिनों से जम्मू संभाग के आतंक प्रभावित जिलों के दौरे पर हैं। कठुआ में आतंकी हमले के दौरान वह कठुआ और सांबा जिले में मौजूद रहे।
इसके बाद उन्होंने पुंछ-राजौरी और अब डोडा-किश्तवाड़ जिलों में सुरक्षा समीक्षा बैठकें कीं और आतंकरोधी अभियान के लिए रोडमैप तैयार करवाया।पिछले डेढ़ साल में जम्मू संभाग के कठुआ, सांबा, पुंछ, राजौरी, उधमपुर, डोडा, किश्तवाड़ और रियासी जिलों में आतंकी हमले हुए हैं। अमरनाथ यात्रा को देखते हुए जम्मू संभाग में सुरक्षा ग्रिड का मूल्यांकन और नए सिरे से निर्धारण करना अहम है।
बैठकों का दौर जारी
2024 और 2025 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा समीक्षा से जुड़ी प्रमुख बैठकें:08 अप्रैल 2025: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में सुरक्षा, आतंकवाद के उन्मूलन और घुसपैठ रोकने के लिए उच्चस्तरीय बैठक की।
05 फरवरी 2025: गृहमंत्री ने नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति पर उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की।11 फरवरी 2025: गृहमंत्री ने नई दिल्ली में कश्मीर में सुरक्षा परिदृश्य की समीक्षा के लिए बैठक बुलाई।
13 फरवरी 2025: उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू में उच्चस्तरीय बैठक की और आतंकवाद के खात्मे का निर्देश दिया।19 दिसंबर 2024: गृहमंत्री ने नई दिल्ली में जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की।
17 नवंबर 2024: उपराज्यपाल ने जम्मू में सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक कर समन्वय बढ़ाने पर जोर दिया।09 मार्च 2024: केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने जम्मू में सुरक्षा अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की।