चीन बना बाधा, कश्मीरी के आर्गेनिक अखरोट की मांग घट गई आधे से भी ज्यादा

चीनी अखरोट की सस्ती कीमत, प्रोसेसिंग यूनिट्स की कमी और कमजोर मार्केटिंग के चलते कश्मीरी ऑर्गेनिक अखरोट की मांग 85% से घटकर सिर्फ 30% रह गई है।

कश्मीर के आर्गेनिक अखरोट की देश-विदेश में मांग पिछले चार साल में 85% से गिरकर मात्र 30% रह गई है। प्रोसेसिंग यूनिट्स के अभाव, चीनी अखरोट की सस्ती कीमत और मार्केटिंग की कमजोर रणनीति इस गिरावट के प्रमुख कारण हैं। जहां 2020 में 1.70 लाख मीट्रिक टन (एमटी) अखरोट की बिक्री होती थी, वहीं 2024 में यह घटकर सिर्फ 30 हजार एमटी रह गया है।

इस गिरावट ने बागवानों और व्यापारियों की चिंता बढ़ा दी है।बाजार में आज कश्मीरी आर्गेनिक अखरोट 700-800 रुपये/किलो के भाव से बिक रहा है, जबकि चीनी अखरोट महज 350-400 रुपये/किलो में उपलब्ध है। यह बड़ा मूल्य अंतर चीनी उत्पाद के रासायनिक खादों से भरपूर उत्पादन और बड़े पैमाने पर होने वाले निर्यात के कारण है।

कश्मीर में तूड़ान (कठोर छिलका हटाने) के बाद अखरोट की गुणवत्ता सुधारने के लिए पर्याप्त प्रोसेसिंग यूनिट्स का अभाव मुख्य समस्या है।बागवानी विभाग के पूर्व संयुक्त निदेशक दिग्विजय सिंह बताते हैं, कश्मीरी अखरोट से तेल अधिक निकलता है, लेकिन प्रोसेसिंग के अभाव में इसका रंग सफेद नहीं हो पाता, जो बाजार में इसकी कमजोरी बन गया है।

बागवानी विपणन विभाग के आंकड़े चौंकाने वाले हैं – वर्तमान में केवल 15% अखरोट ही विभाग के माध्यम से बेचा जाता है। सहायक निदेशक अश्वनी कुमार मानते हैं कि ग्रेडिंग व्यवस्था के अभाव और आर्गेनिक प्रमाणन के प्रचार की कमी ने स्थिति को बिगाड़ा है।कश्मीर के 70 हजार हेक्टेयर में होने वाली 2 लाख एमटी वार्षिक पैदावार को बचाने के लिए बागवानी विभाग ने नई पहल शुरू की है।

स्थिति सुधारने के लिए जरूरी कदम: तत्काल प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना
आर्गेनिक प्रमाणीकरण और जीआई टैगिंगमार्केटिंग और ब्रांडिंग पर विशेष ध्यान ग्रेडिंग व्यवस्था को मजबूत करना

जिलेवार उत्पादनश्रीनगर: 165 एमटी
गांदरबल: 5,454 एमटीबडगाम: 3,215 एमटी
कुपवाड़ा: 8,824 एमटीअनंतनाग: 11,915 एमटी
कुलगाम: 4,025 एमटीशोपियां: 3,270 एमटी
पुलवामा: 5,520 एमटी

दस फीसदी अखरोट होता खालीअखरोट के थोक व्यापारी हरी मार्केट राकेश दीवान ने कहा कि दस फीसदी अखरोट खाली निकलता है। इसके अलावा छोटे आकार में आता है। लोग चीन के अखरोट को ज्यादा इसलिए भी पसंद करते हैं कि उसका साइज बड़ा है और गरी भी ज्यादा निकलती है। कश्मीरी अखरोट सख्त होता है। इस कारण भी बाजारों में डिमांड कम होती जा रही है।

कोटअखरोट की पैदावार बढ़ाने पर शोध चल रहा है। पर्वत किस्म को लांच करने की तैयारी है। कृषि समग्र विकास योजना के तहत भी अखरोट को बढ़ावा दिया जा रहा है। बागवानों के लिए प्रोसेसिंग यूनिट सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी। इससे बाजारों में मांग बढ़ेगी। प्रोसेसिंग यूनिट के बाद जीआई टैगिंग पर काम होगा।– डाॅ. प्रशांत बख्शी, एचओडी बागवानी, स्काॅस्ट जम्मू

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