हरियाणा की अदालतों में 29 फीसदी जजों के पद खाली

हरियाणा में पुलिस कांस्टेबल के भी 39 फीसदी पद खाली है, जो पश्चिम बंगाल के बाद सबसे ज्यादा हैं। पुलिस पद भरने में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में भी कमी है।

हरियाणा की अदालतों में जजों की भारी कमी है। जिला अदालतों में जहां 29 फीसदी जज नहीं है, वहीं पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में 40 फीसदी न्यायधीश नहीं है। राज्य में अधीनस्थ न्यायपालिका में स्वीकृत न्यायाधीशों की तुलना में 25 फीसदी कोर्टरूम तक नहीं है। जजों व कोटरूम की इस कमी के मामले में हरियाणा के देश के 18 बड़े राज्यों में पहले नंबर पर है। इसका खुलासा इंडिया जस्टिस रिपोर्ट-2025(आईजेआर) में हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा की जेलों की स्थिति में भी सुधार की जरूरत है। राज्य की जेलों में क्षमता से 22 फीसदी अधिक कैदी बंद हैं और उनको संभालने के लिए जेल प्रशासन के पास 35 फीसदी कर्मचारियों की कमी है। जेलों में कैदियों व हवालातियों का इलाज करने के लिए 47 फीसदी चिकित्सा अधिकारी तक नहीं है। वहीं, 11 सुधार कर्मचारियों के स्वीकृत पदों पर सरकार ने एक भी तैनाती नहीं की।

इसी का परिणाम है कि प्रदेश की 20 जेलों में से हर 4 में से 1 में 150-250 फीसदी की ऑक्यूपेंसी रेट है। साल 2022 तक इन बंदियों में से 27 फीसदी विचाराधीन कैदी थे जो 1-3 साल तक हिरासत में थे। यह आंकड़ा 18 बड़े राज्यों में सबसे अधिक है।

पुलिस पद भी खाली
प्रदेश में पुलिस कांस्टेबल के भी 39 फीसदी पद खाली है, जो पश्चिम बंगाल के बाद सबसे ज्यादा हैं। पुलिस पद भरने में अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण में भी कमी है। प्रदेश में अनुसूचित जाति के अधिकारियों और कांस्टेबलों में 20% और ओबीसी में 30% की कमी है। राज्य के 97 फीसदी पुलिस थानों में कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा स्थापित है।

काफी सुधार की जरूरत
न्याय व्यवस्था के सभी मानकों के लिहाज से देखें तो हरियाणा कानूनी सहायता देने में तीसरे, न्यायपालिका में 10वां और पुलिस व जेलों में 14वें स्थान पर है। देशभर में एक करोड़ से अधिक आबादी वाले 18 बड़े राज्यों में हरियाणा 12वें स्थान पर है। साल 2022 में इसका 13वां स्थान था। देश में पहले स्थान पर कर्नाटक, दूसरे पर आंध्र प्रदेश, तीसरे पर तेलंगाना है।

महिला न्यायधीश सबसे अधिक
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में महिला न्यायाधीशों की हिस्सेदारी देश में सबसे अधिक है। इसी तरह, राज्य की जेलों में प्रति बंदी 437 रुपये का दैनिक खर्च देश के सबसे ऊंचे खर्च में शामिल है। जिला न्यायपालिका में 27% आरक्षण के बावजूद 60% ओबीसी जजों के पद खाली हैं।

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