11.51 लाख में बिका गुजरात का ‘पृथ्वी’ घोड़ा! बिहार से आया खरीददार

सौराष्ट्र में काठियावाड़ी घोड़ों की विशेष लोकप्रियता है. वर्तमान में कई लोग शौक के लिए घोड़े पालते हैं और ये घोड़े लाखों की कीमत रखते हैं. घोड़ा पालक अपने घोड़ों को परिवार के सदस्य की तरह ही संभालते हैं. काठियावाड़ी घोड़ों की कीमत लाखों रुपये में होती है. जूनागढ़ शहर के एक घोड़ा पालक का काठियावाड़ी घोड़ा 11.51 लाख में बिका है.
राजुभाई ने 11.51 लाख रुपये की कीमत का एक घोड़ा बेचा
लोकल 18 से बात करते हुए राजुभाई राडा ने बताया कि वे जूनागढ़ शहर में रहते हैं और उन्हें घोड़ों का शौक है. उनके पिता भी घोड़े रखते थे और वे इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. राजुभाई के पास काठियावाड़ी नस्ल के घोड़े और घोड़ी हैं और वे ब्रीडिंग करके उत्तम नस्ल के घोड़े तैयार कर रहे हैं. राजुभाई ने हाल ही में अपने एक घोड़े को बेचा है, जिसकी कीमत 11.51 लाख रुपये है. काठियावाड़ी घोड़ों का उपयोग लोग दौड़ और अपने शौक के लिए अधिक करते हैं.
राजुभाई ने बताया कि बिहार में उनके ‘पृथ्वी’ नामक काठियावाड़ी घोड़े को बेचा गया है. काठियावाड़ी घोड़ों की अन्य राज्यों में ब्रीडिंग के लिए मांग बढ़ रही है. 11 साल का ‘पृथ्वी’ नामक काठियावाड़ी घोड़ा अन्य राज्य में बिका है. पहले के समय में काठियावाड़ी घोड़े राजा, रजवाड़े और नवाबों द्वारा शौक और युद्ध के लिए रखे जाते थे, और तब से ही इन घोड़ों की मांग रही है. अब काठियावाड़ और गुजरात में काठियावाड़ी घोड़े कम देखने को मिलते हैं, जबकि अन्य राज्यों में उनकी मांग बढ़ रही है. काठियावाड़ी घोड़े अपनी रहन-सहन और चाल-ढाल से जाने जाते हैं.
घोड़े को बिहार पहुंचने में 4 दिन लगेंगे
बिहार राज्य के पटना में स्थित एक घोड़ा पालक द्वारा महंगी कार के भाव में घोड़े की खरीद की गई है. इस घोड़े को 11 लाख 51,000 रुपये में खरीदा गया है, सिर्फ एक या दो लाख में नहीं. इस खरीद का उद्देश्य अन्य घोड़ों का पालन-पोषण और काठियावाड़ी नस्ल को बढ़ावा देना है. घोड़े को बिहार पहुंचने में 4 दिन लगेंगे. उसे बिहार ले जाने के लिए खास एम्बुलेंस मंगवाई गई है, जिसकी मदद से घोड़े को बिहार पहुंचाया जाएगा.