तूफान की वजह से टूटी चट्टान, तब सामने आया 2500 साल पुराना ‘खजाना’

हमारी धरती पर कई ऐसे रहस्य और खजाने छुपे हुए हैं, जिनके बारे में आज भी कोई नहीं जानता. वैज्ञानिक अक्सर इनके बारे में खोज करते रहते हैं. लेकिन कई बार कुछ रहस्यमयी चीजें और खजाने अपने आप बाहर आ जाते हैं. ऐसा ही कुछ पोलैंड के बाल्टिक सागर के पास हुआ. यहां पर समंदर में आए तूफान की वजह से किनारे की एक चट्टान टूट गई और उसके नीचे से 2500 साल पुराना एक अनमोल खजाना सामने आ गया, जिसकी शानदार हालत देखकर वैज्ञानिकों के होश उड़ गए. ये खोज इतनी खास है कि इसे पोलैंड की सबसे बेशकीमती खोजों में से एक माना जा रहा है और अब इसके पीछे छुपे रहस्यों को जानने की कोशिश शुरू हो गई है. ये अनमोल खजाना कुछ और नहीं, बल्कि एक खंजर है, जिसका उपयोग पूजा-अनुष्ठान में किया जाता था.
बताया जाता है कि तूफान के बाद बाल्टिक सागर के किनारे सेंट कॉर्डुला एसोसिएशन फॉर द सेविंग ऑफ मॉन्यूमेंट्स के सदस्य जेसेक उकोव्स्की और कटार्जिना हेरद्जिक उस दिन मेटल डिटेक्टर लेकर घूमने निकले थे. उन्होंने देखा कि तूफान की वजह से एक चट्टान टूटकर गिर गया था. तभी उन्होंने इस खजाने को मिट्टी और पत्थर के टुकड़ों के ढेर में खोजा, जो तूफान की वजह से चट्टान से टूटकर गिरा था. कटार्जिना ने बताया, “मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि इतनी बड़ी खोज हो जाएगी, लेकिन जैसे ही मैंने इसे देखा, मुझे लगा कि ये कुछ खास है.” उन्होंने तुरंत कामिएं लैंड इतिहास संग्रहालय को इसकी सूचना दी, जिसके बाद संग्रहालय की टीम ने इसे अपने कब्जे में ले लिया. जब संग्रहालय ने इस अनमोल खजाने को देखा, तो पता चला कि ये एक 2500 साल पुराना खंजर है, जो हॉलस्टैट काल से ताल्लुक रखता है. ये काल 1200 ईसा पूर्व से 450 ईसा पूर्व तक यूरोप में चला था. खंजर की हालत इतनी अच्छी है कि इसे पोलैंड की सबसे कीमती खोजों में से एक माना जा रहा है.
संग्रहालय ने फेसबुक पर लिखा, “ये खंजर बहुत अच्छी हालत में है और पोलैंड में इस तरह की सबसे बेशकीमती खोजों में से एक है.” खंजर की सतह पर खूबसूरत नक्काशी है, जिसमें चांद की तरह की रेखाएं, सितारों जैसे क्रॉस और बीच में एक डिज़ाइन बना है, जो शायद नक्षत्रों को दर्शाता है. इन नक्काशियों को देखकर विशेषज्ञों का मानना है कि ये खंजर सूर्य पूजा करने वाले समूह सोलर कल्ट (Solar Cult) से जुड़ा हो सकता है. ऐसा लगता है कि इसे उनके खास अनुष्ठानों में इस्तेमाल किया जाता होगा. संग्रहालय ने बताया कि खंजर का हैंडल एक नुकीले सिरे पर खत्म होता है और उस पर भी वैकल्पिक पैटर्न की नक्काशी है, जो ब्लेड तक जाती है. संग्रहालय के निदेशक ग्रेगोर्ज़ कुरका ने इसे “सच्ची कला” बताया और कहा, “पोलैंड में इस तरह का खंजर मैंने पहले कभी नहीं देखा. हर नक्काशी अनोखी है और ये उस समय की बेहतरीन कारीगरी को दिखाता है.”
सवाल ये है कि इस खंजर का असली मकसद क्या था? क्या इसे अनुष्ठानों के लिए बनाया गया था या ये किसी अमीर योद्धा का हथियार था? इसकी खूबसूरती देख इसे धातु विज्ञान का एक नायाब नमूना कहा जा रहा है. संग्रहालय का मानना है कि ये खंजर शायद दक्षिणी यूरोप के किसी कारखाने में बनाया गया होगा और फिर बाल्टिक तट तक लाया गया. इस खोज से पश्चिमी पोमेरानिया के इतिहास के बारे में नई जानकारी मिल सकती है, जो बताती है कि इस क्षेत्र का उस समय के व्यापार और संस्कृति से गहरा नाता था. अब विशेषज्ञ इस खंजर का गहराई से अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं. वो इसके धातु की संरचना को जांचेंगे, जिसमें तांबे और टिन की मात्रा का पता लगाया जाएगा. साथ ही वो ये भी देखेंगे कि इस हथियार पर इस्तेमाल के निशान हैं या नहीं, ताकि ये समझा जा सके कि इसे अनुष्ठानों के लिए इस्तेमाल किया गया था या लड़ाई में. संग्रहालय को उम्मीद है कि ये टेस्ट कई सवालों के जवाब दे सकते हैं, जैसे कि ये खंजर कहां बना, और इसका असली मकसद क्या था.