महाराष्ट्र: जीआईपीई के बजट में हेराफेरी करने पर सचिव पकड़ा

पुणे के गोखले राजनीति और अर्थशास्त्र संस्थान (जीआईपीई) की संस्था सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी (एसआईएस) के सचिव ने बजट का इस्तेमाल जमीन खरीदने के लिए किया था। डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत पर सचिव को गिरफ्तार किया गया।
पुणे के गोखले राजनीति और अर्थशास्त्र संस्थान (जीआईपीई) की संस्था सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी (एसआईएस) के सचिव को धोखाधड़ी और बजट की हेराफेरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। डेक्कन जिमखाना पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने बताया कि जीआईपीई के डिप्टी रजिस्ट्रार की शिकायत पर सचिव मिलिंद देशमुख को शनिवार को गिरफ्तार किया गया। शिकायत के मुताबिक धन की हेराफेरी 2022-23 में हुई। जब जीआईपीई के 1.5 करोड़ रुपये के फंड को एसआईएस के लिए जमीन खरीदने में लगा दिया गया।
पिछले दिनों जीआईपीई के चांसलर और ईएसी-पीएम सदस्य संजीव सान्याल को एसआईएस ने संस्थान के गिरते शैक्षणिक मानकों और नैक में बी ग्रेड मिलने पर पद से हटा दिया था और फिर शनिवार को बहाल कर दिया था। सान्याल ने एसआईएस के अध्यक्ष दामोदर साहू को लिखे एक पत्र में कहा था कि जीआईपीई में कई साल वित्तीय अनियमितता हो रही है।
नगर आयुक्त ने किया आत्महत्या का प्रयाास
महाराष्ट्र के लातूर नगर निगम के आयुक्त ने खुद को बंदूक से गोली मारकर आत्महत्या करने की कोशिश की। पुलिस ने कहा कि शनिवार देर रात नगर आयुक्त बाबासाहेब मनोहरे को एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत गंभीर बताई गई है। मनोहरे ने बारशी रोड पर अपने आवास पर रात करीब 11.30 बजे सिर में बंदूक से खुद को गोली मार ली। उन्हें सह्याद्री अस्पताल ले जाया गया।
डॉक्टरों ने उनकी आपातकालीन सर्जरी की। अस्पताल के निदेशक डॉ हनुमंत किणीकर ने कहा कि गोली उनके सिर के दाहिने हिस्से में घुस गई। इससे भारी रक्तस्राव हुआ एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मनोहरे ने 20 अक्टूबर 2022 को लातूर नगर निगम आयुक्त का कार्यभार संभाला था। उन्होंने 27 मार्च को नगर निगम का वार्षिक बजट पेश किया था।
हाइड्रोलिक डंपर से गिरकर मरने वाले ऑपरेटरों के परिजनों को नहीं मिलेगा मुआवजा
ठाणे के मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण ने हाइड्रोलिक ऑपरेटर के परिजनों के मुआवजे के दावे को खारिज कर दिया। गोविंद बंदगर सात मई 2005 को हाइड्रोलिक डंपर की जांच कर रहे थे। तभी डंपर उन पर गिर गया था जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। पांच साल बाद 31 मई 2010 को उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद उनकी पत्नी महानंदा और तीन बेटों ने मुआवजे की मांग की।
आदेश में एमएसीटी के सदस्य एसएन शाह ने कहा कि हाइड्रोलिक डंपर दुर्घटना तब हुई, जब बंदगर इसे चला रहे थे और कोई अन्य वाहन इसमें शामिल नहीं था। यदि लापरवाही मृतक की खुद की है, तो उसके कानूनी प्रतिनिधि उसकी अपनी गलती के लिए धारा 166 के तहत मुआवजे का दावा नहीं कर सकते।
यदि यह साबित नहीं होता कि दुर्घटना किसकी लापरवाही के कारण हुई, तो याचिका शुरू से ही विफल हो जाती है। एमएसीटी ने बंदगर के परिजनों के मुआवजे के दावे को खारिज करते हुए कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद तथ्यों और प्रथम दृष्टया यह दिखाने के लिए कोई आधार या कारण नहीं दिया गया है कि यह याचिका धारा 166 के तहत विचारणीय है।