प्रस्तुति उत्सव 2025: अकेली औरत का नाट्य से सजा पटना रंगमंच

चर्चित नाट्य संस्था ‘प्रस्तुति’ द्वारा आयोजित वार्षिक नाट्योत्सव ‘प्रस्तुति उत्सव 2025: अकेली औरत का नाट्य’ का शुभारंभ सोमवार को पटना के हाउस ऑफ वेराइटी में हो गया है। आयोजन की शुरुआत अभिनेत्री मीना कुमारी के जीवन पर आधारित नाटक ‘चांद तन्हा आसमां तन्हा’ से हुई।
पटना की चर्चित नाट्य संस्था ‘प्रस्तुति’ द्वारा आयोजित वार्षिक नाट्योत्सव ‘प्रस्तुति उत्सव 2025: अकेली औरत का नाट्य’ का शुभारंभ सोमवार को पटना के हाउस ऑफ वेराइटी में हुआ। इस रंगारंग शुरुआत की पहली कड़ी बनी दस्तक पटना की चर्चित एकल नाट्य प्रस्तुति ‘चांद तन्हा आसमां तन्हा’, जिसे दर्शकों ने अत्यंत सराहना के साथ देखा। इस नाटक का निर्देशन और परिकल्पना पुंज प्रकाश ने की है। जबकि मंच पर मशहूर अभिनेत्री विदुषी रत्नम ने मीना कुमारी के जीवन को जीवंत कर दर्शकों के दिलों में गूंज भर दी।
2012 से चल रही नाट्य परंपरा
गौरतलब है कि यह नाट्योत्सव वर्ष 2012 से निरंतर आयोजित होता आ रहा है। पहले इसे ‘जश्ने रंग’ के नाम से जाना जाता था। लेकिन वर्ष 2021 से इसका नाम बदलकर ‘अकेली औरत का नाट्य’ रखा गया, जो संस्था द्वारा महिलाओं को मंच देने की एक सशक्त पहल है। इस नाट्योत्सव में देशभर की प्रतिष्ठित महिला कलाकारों की एकल प्रस्तुतियां पटना रंगमंच को नई ऊंचाइयों तक ले जाती रही हैं। अब तक इस मंच पर हिमानी शिवपुरी, मीता वशिष्ठ, ज्योति डोगरा, रसिका आगाशे, सीमा आज़मी और अनुभा फतेहपुरिया जैसी नामचीन अभिनेत्रियां अपनी प्रस्तुतियां दे चुकी हैं। इस वर्ष भी अनेक युवा प्रतिभाएं मंच पर अपने अभिनय का जादू बिखेरने वाली हैं।
संजय मिश्रा को मिलेगा राष्ट्रीय रंग सम्मान
इस उत्सव की खासियत यह भी है कि हर वर्ष रंगमंच के क्षेत्र में योगदान देने वाले प्रमुख व्यक्तित्वों को ‘रमेश प्रसाद सिंह राष्ट्रीय रंग सम्मान’ से सम्मानित किया जाता है। अब तक पद्मश्री वामन केंद्र, चितरंजन त्रिपाठी और कुणाल जी को यह सम्मान मिल चुका है। इस वर्ष यह सम्मान प्रसिद्ध अभिनेता संजय मिश्रा को प्रदान किया जाएगा।
चांद तन्हा आसमां तन्हा: एक अभिनेत्री, एक शायरा, एक इंसान की गाथा
आज की प्रस्तुति मीना कुमारी के जीवन और रचनाकर्म पर आधारित थी। नाटक के माध्यम से मीना की छवि को केवल एक अदाकारा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील इंसान और शायरा के रूप में दिखाने की कोशिश की गई है। मंच पर विदुषी रत्नम ने मीना की भूमिका में ऐसा प्रभाव डाला कि दर्शक पल भर के लिए वर्तमान से कटकर उस दौर में पहुंच गए।
पुंज प्रकाश द्वारा निर्देशित इस नाटक में मीना कुमारी के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों, उनकी कविताओं, उनके फिल्मी गीतों और सिनेमा से जुड़े अनुभवों को इस तरह पिरोया गया है कि यह प्रस्तुति मात्र एक जीवनी नहीं, बल्कि एक मानवीय दृष्टिकोण से भरी संवेदनशील कलाकृति बन गई। वहीं, प्रस्तुति में संगीत संचालन और नृत्य परिकल्पना प्रिंस कुमार द्वारा, वस्त्र परिकल्पना अन्नु प्रिया ने और मंच सामग्री की जिम्मेदारी मोहित ने संभाली। नाटक की प्रस्तुतकर्ता संस्था रही दस्तक, पटना।
आगामी प्रस्तुतियां भी भरेंगी रंगमंच में ऊर्जा
यह उत्सव 21 मार्च तक चलेगा, जिसमें देशभर से पांच सशक्त महिला कलाकारों की एकल प्रस्तुतियां होंगी।
18 मार्च को भाग्यश्री तड़के की प्रस्तुति ‘सलमा दीवानी’, 19 मार्च को भागीरथी बाई की ‘कमला बाई’, 20 मार्च को लुंबना सलीम की ‘गुडंबा’, 21 मार्च को टी सेरिंग लम्वो की प्रस्तुति ‘श्योक’ मंचित की जाएगी। इन प्रस्तुतियों में न केवल अभिनय की उत्कृष्टता देखने को मिलेगी, बल्कि यह वर्तमान समय के सामाजिक विमर्शों और स्त्री-चेतना की विविध परतों को भी उजागर करेंगी।