‘इंसानों को ना दिखने वाले रंगों’ का इस्तेमाल करते हैं सांप, धोखा देने में आते हैं काम!

सापों के बारे में लोगों को बहुत सारे भ्रम होते हैं. ऐसा भारत जैसे देश में ज्यादा होता है. कुछ गलतफहमियां धर्म की वजह से है तो कुछ लोगों में सदियों से चली आ रही गलत धारणाएं आज भी किवदंती के तौर पर प्रचलित हैं. यही वजह है कि सांप वैज्ञानिकों के लिए भी दिलचस्प विषय हैं. यही कारण है कि कई बार वैज्ञानिकों को भी सांप के बारे में नई जानकारी मिलती है. नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि सांप  खुद को ऐसे रंग का बना सकते हैं, जिन्हें इंसान नहीं देख सकता है. इसका उन्हें खास फायदा भी होता है.

सांपों के पराबैंगनी रंग
मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने  हाल ही में अपने अध्ययन में सांपों में खुद को “पराबैगनी रंग का करने” का पता लगाया है. उन्होंने पाया है कि सांप ऐसा कुछ पक्षियों जैसे शिकारियों से बचने के लिए ऐसा करते हैं. शोधकर्ताओं का कहना का कहना हैकि जानवरों में पराबैंगनी रंग की रिसर्च का संबंध अधिकांश तौर पर  इंसान रंगों को कैसे समझते हैं इसी नजरिए से होता रहा है. सांपों के मामले में वैज्ञानिक जानना चाहते थे कि आखिर इन रंगों का क्या उपयोग होगा.

अलग अलग प्रजातियों के सांप
उन्होंने अंदाजा लगाया कि या तो ये रंग शिकारियों को धोखा देने (छलावरण) की वजह से है या फिर किसी तरह का पर्यारवरण संबंधी संकेत है. नेचर कम्यूनिकेशन में प्रकाशित रिसर्च में 110 सांप प्रजातियों का अध्ययन किया जो पेरू से लेकर कोलोराडो तक पकड़े गए थे. इनमें से कई प्रजातियां पराबैंगनी रंगों को देख सकते हैं जैसा कि इंसान नहीं कर पाते हैं.

समय और जगह
उन्होंने खास तरह के कैमरा आदि से सांपों की तस्वीरें ली और उन पराबैंगनी रंगों का अध्ययन किया जो सांप कुदरती तौर पर  प्रतिबिम्बित करते हैं और जो इंसानों को दिखते नहीं हैं. इसके बाद उन्होंने रंगों के प्रभाव का सांपों की उम्र, लिंग, आवास आदि के लिहाज से अध्ययन किया. उन्हें चौंकाने वाली जानकारी मिली. उन्होंने पाया कि पेड़ों और टहनियों के बीच रहने वाले सांप ज्यादा पराबैंगनी रंग प्रतिबिम्बित करते हैं. वहीं रात को भी ऐसा ज्यादा होता है.

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