पाकिस्तान की फिर किरकिरी; अल्पसंख्यकों पर हो रहे उत्पीड़न को लेकर आवाज बुलंद

अमेरिका के रेबर्न हाउस ऑफिस बिल्डिंग में बुधवार को एक अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अल्पसंख्यकों की स्थिति पर प्रकाश डाला गया। बता दें कि इस कार्यक्रम का आयोजन हिंदूएक्टेशन द्वारा किया गया था, जिसमें धार्मिक उत्पीड़न और अल्पसंख्यक महिलाओं की तस्करी जैसी गंभीर समस्याओं पर चर्चा की गई।

इन सदस्यों ने लिया कार्यक्रम में हिस्सा
कांग्रेस के कई सदस्य, जैसे प्रतिनिधि श्री थानेदार, प्रतिनिधि सुहास सुब्रमण्यम और प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति ने इस कार्यक्रममें भाग लिया, साथ ही प्रतिनिधि जैक नन और बिल हुइजेंगा भी शामिल हुए। इसके अलावा, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड के कार्यालय से भी एक प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिसने इन मानवाधिकार हनन के राष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ने वाले प्रभावों पर चर्चा की।

श्री थानेदार ने की कड़ी कार्रवाई की अपील
कार्यक्रम में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार मामले में प्रतिनिधि श्री थानेदार ने इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई की अपील की। साथ ही अमेरिकी विदेश विभाग से पाकिस्तान पर दबाव डालने की मांग की गई, ताकि अपहृत हिंदू महिलाओं और लड़कियों को जल्दी और सुरक्षित रूप से रिहा किया जा सके। थानेदार ने कहा कि पाकिस्तान को जबरन धर्मांतरण रोकने के लिए कानून बनाने के लिए कहा जाए और भविष्य में पाकिस्तान को दी जाने वाली आर्थिक सहायता को इस बात पर निर्भर करना चाहिए कि वह अपने धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और कल्याण में सुधार करता है या नहीं।

साथ ही प्रतिनिधि राजा कृष्णमूर्ति ने पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के सामने आ रही समस्याओं को उजागर करने के लिए आयोजकों की सराहना की। साथ ही अपने समर्थकों से हर जगह सताए गए अल्पसंख्यकों के लिए आवाज उठाने की प्रतिबद्धता जाहिर की।

मुख्य वक्का दानिश कनेरिया ने बताया अपना अनुभव
पाकिस्तान के सबसे सफल क्रिकेट खिलाड़ियों में एक और पाकिस्तान के राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के अंतिम हिंदू खिलाड़ी दानिश कनेरिया इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता थे। कनेरिया ने अपने करियर में झेले गए भेदभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग अक्सर अपनी प्रतिभा और समर्पण के बावजूद भेदभाव का सामना करते हैं। उन्होंने अपनी कहानी के जरिए पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को उजागर किया और कहा कि हिंदू, सिख और ईसाई समुदायों को पाकिस्तान में तीसरे दर्जे का नागरिक माना जाता है।

Back to top button