जम्मू-कश्मीर में हर व्यक्ति पर 1,02,266 रुपये का कर्ज

उमर सरकार का यह बजट पिछले बजट से 6,080 करोड़ कम है। बजट का आकार भले ही कम हुआ है, लेकिन जम्मू-कश्मीर पर कर्ज लगातार बढ़ा है। प्रदेश में हर व्यक्ति पर औसतन 1,02,266 रुपये का कर्ज है।

उमर अब्दुल्ला सरकार का पहला बजट 1,12,310 करोड़ रुपये अनुमानित है। यह बजट पिछले बजट से 6,080 करोड़ कम है। बजट का आकार भले ही कम हुआ है, लेकिन जम्मू-कश्मीर पर कर्ज लगातार बढ़ा है। प्रदेश में हर व्यक्ति पर औसतन 1,02,266 रुपये का कर्ज है।

बजट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश 1,25,205 करोड़ रुपये का कर्जदार रहा। यह कर्जा प्रदेश की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 51 फीसदी है। प्रदेश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है, क्योंकि यह प्रदेश की जीएसडीपी के आधे से भी ज्यादा है। वहीं, प्रदेश के कर्जे के ट्रैक रिकॉर्ड की बात करें तो हर साल कर्ज बढ़ता जा रहा है।

वित्त वर्ष 2013-14 के मुकाबले 2023-24 में प्रदेश का कर्ज करीब 180 फीसदी बढ़ा है। 2013-14 में यह 44,662 करोड़ रुपये था, जो जीएसडीपी का 47 फीसदी था। 2023-24 में यह 1,25,205 करोड़ रुपये रहा, जोकि जीएसडीपी का 51 फीसदी था। वित्त वर्ष 2020-21 में प्रदेश पर 98,244 करोड़ रुपये का कर्ज था, जोकि जीएसडीपी का 59 फीसदी था। बीते 12 सालों में यह जीएसडीपी पर सबसे ज्यादा बोझ था।

सरकार की करों से आय बढ़ी, वेतन पर खर्च घटा, पेंशन पर बढ़ा
इस बजट में सरकार की आय कई क्षेत्रों में घटी है, तो कई क्षेत्रों में बढ़ी है। प्रदेश की अपने करों से होने होने वाली कमाई में एक फीसदी का इजाफा हुआ है। पिछले बजट में यह 20,860 करोड़ रुपये थी, इस बार के बजट में 21,550 करोड़ रुपये अनुमानित है।

इसी तरह गैर करों से होने वाली आय और केंद्र प्रायोजित योजनाओं से मिलने वाली घनराशि में एक फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, केंद्र से मिलने वाले अनुदान में पांच फीसदी की गिरावट हुई है। 2024-25 में यह 67,133 करोड़ रुपये था, जो 2025-26 में 58,624 करोड़ रुपये अनुमानित है।

-वहीं सरकार के खर्चों की बात करें तो कर्मचारियों को दिए जाने वाले वेतन में चार फीसदी की कमी आई है। पिछले बजट में यह 29,412 करोड़ रुपये था, जो इस बजट में 23,894 करोड़ रुपये अनुमानित है।

इसके उलट सरकार पर सेवानिवृत कर्मचारियों को दी जाने वाली पेंशन का बोझ दो फीसदी बढ़ा है। पिछले बजट में यह 14,058 करोड़ रुपये था, जो इस बार 15,300 करोड़ रुपये है। वहीं सरकार के कुल पूंजीगत व्यय में भी दो फीसदी की भारी गिरावट हुई है। इस बजट में यह 32,607 करोड़ रुपये अनुमानित है, जोकि पिछले बजट में 36,904 करोड़ रुपये था।

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