जबलपुर: नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़ा में MPNRC की पूर्व महिला रजिस्ट्रार को झटका

MPNRC की पूर्व महिला रजिस्ट्रार की याचिका पर सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि निलंबन के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील नहीं की है। युगलपीठ ने याचिका खारिज करते हुए उन्हें सक्षम प्राधिकरण में अपील दायर करने की स्वतंत्रता दी है।

नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े की जांच जबलपुर हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई कर रही है। फर्जीवाड़े की जांच के दायरे में आई पूर्व महिला रजिस्ट्रार ने निलंबन कार्रवाई को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी और जस्टिस एके पालीवाल की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद याचिका को खारिज करते हुए सक्षम प्राधिकरण में अपील दायर करने की स्वतंत्रता दी है। एकलपीठ ने सक्षम प्राधिकरण को निर्देशित किया है कि यदि याचिकाकर्ता अपील दायर करती हैं तो उस पर 60 दिनों में निर्णय लिया जाए।

गौरतलब है कि नर्सिंग कॉलेज फर्जीवाड़े को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि प्रदेश में संचालित अधिकांश नर्सिंग कॉलेज मान्यता संबंधित शर्तों को पूर्ण कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा की गई जांच में मान्यता प्राप्त कई नर्सिंग कॉलेज अपात्र पाए गए थे, जिनकी मान्यता निरस्त कर दी गई थी।

याचिका की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल की रजिस्ट्रार अनीता चंद्र को हटाने की मांग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि अनीता चंद्र ने पूर्व में निरीक्षक रहते हुए भोपाल स्थित एक नर्सिंग कॉलेज को मान्यता देने की अनुशंसा की थी। सीबीआई की जांच में उक्त कॉलेज मान्यता संबंधित नियमों में अपात्र पाया गया था।

इस पर हाईकोर्ट ने उन्हें रजिस्ट्रार पद से हटाने के आदेश जारी किए थे। हाईकोर्ट में आवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा गया था कि रजिस्ट्रार पद पर रहते हुए अनीता चंद्र एमपीएनआरसी कार्यालय से चार पेटी कागज ले गई हैं। इस पर हाईकोर्ट ने कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग रिकवर करने और रजिस्ट्रार के मोबाइल की लोकेशन रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी किए थे।

सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश पर अनीता चंद्र को रजिस्ट्रार पद से हटाते हुए छिंदवाड़ा स्थित नर्सिंग कॉलेज में पदस्थ कर दिया था। इसके बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट की शरण ली थी। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया कि निलंबन के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सक्षम प्राधिकारी के समक्ष अपील नहीं की है। जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस लेने का आग्रह किया। इसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए।

Back to top button