जन विश्वास 2.0 में 1000 से अधिक कारोबारी नियमों में हो सकते हैं बदलाव

कारोबार को बिल्कुल आसान बनाने के लिए सरकार नियम-कानून में बड़े बदलाव लाने पर मंथन कर रही है। औद्योगिक संगठन, एसोसिएशन, राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों से विचार-विमर्श शुरू हो गया है। श्रम कानून से लेकर भवन निर्माण, पानी-बिजली कनेक्शन, लॉजिस्टिक एवं पर्यावरण संबंधी नियमों में मुख्य रूप से बदलाव किए जाएंगे।

1000 से अधिक नियम-कानून बदले जा सकते हैं

मामूली नियमों के पालन में चूक पर जेल और जुर्माने का प्रविधान समाप्त किया जाएगा। हितधारकों से विचार-विमर्श के बाद जन विश्वास बिल 2.0 संसद में पेश किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार, इस बार 1000 से अधिक नियम-कानून बदले जा सकते हैं। वर्ष 2023 में नियमों में ढील के लिए जन विश्वास बिल 1.0 लाया गया था।

जन विश्वास बिल 1.0 के तहत अब तक 283 नियमों में बदलाव

उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआइआइटी) के अनुसार, जन विश्वास बिल 1.0 के तहत अब तक 283 नियमों में बदलाव और सैकड़ों प्रविधान को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है। इस बार भी वैसी ही तैयारी है

आर्थिक सर्वेक्षण से लेकर बजट तक में कारोबारी नियमों में बड़े बदलाव की जरूरत बताई गई थी क्योंकि इनके पालन की वजह से हमारी लागत वियतनाम, जापान, इंडोनेशिया जैसे देशों से अधिक हो जाती है।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दो दिन पहले मैन्यूफैक्चरिंग, निर्यात में बढ़ोतरी व एमएसएमई को ग्रोथ इंजन बनाने पर नियमों के गैर अपराधीकरण और बड़े बदलाव का संकेत दे चुके हैं। जन विश्वास बिल 2.0 को तैयार करने के लिए राज्यों पर खास फोकस है। कई नियमों में बदलाव के लिए राज्य को केंद्र की इजाजत लेनी होगी।

राज्यों व वहां के स्थानीय निकायों के अलग-अलग नियम हैं, जिन्हें बदलने की जरूरत है। तमिलनाडु, गुजरात, मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने नियमों को काफी आसान बनाया है। उनके माडल से भी चीजें अपनाई जा सकती हैं। मामूली गलती के लिए सजा या जुर्माने वाले सभी प्रविधान खत्म किए जा सकते हैं।

अभी 11,500 नियमों का पालन जरूरी

जानकारों के अनुसार, अगर कोई उद्यमी देश के विभिन्न राज्यों में फैक्ट्री चलाता है तो कार्यस्थल की सुरक्षा, श्रम, टैक्स जैसे विभिन्न नियमों के तहत उसे राज्यों, स्थानीय निकायों व केंद्र सरकार के 11,500 नियमों का पालन करना पड़ता है। इनमें से 7,600 नियमों के पालन में चूक होने पर जुर्माना या कैद का प्रविधान है।

वसूली की भी वजह बने ये नियम

विशेषज्ञों के मुताबिक छोटे-छोटे नियमों के पालन में चूक पर कैद और भारी जुर्माने का डर दिखाकर इंस्पेक्टर उद्यमियों से वसूली करते हैं। उदाहरण के लिए फैक्ट्री के रखरखाव के रिकार्ड को ठीक से नहीं रखने और सुरक्षा संबंधी नियमों में जरा सी अनदेखी पर जुर्माने के साथ कैद तक का प्रविधान है। श्रम कानून के अधिकतर प्रविधान में कैद शामिल है। कैद व जुर्माने की वजह से एक सीमा के बाद श्रमिकों से ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता है और जरूरत के बावजूद उनसे अधिक काम नहीं लिया जा सकता है।

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