कब है चैत्र माह की संकष्टी चतर्थी?

हिंदू धर्म में चैत्र महीने में आने वाली चतुर्थी तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसके साथ ही उनके निमित्त कठिन उपवास का पालन किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास की भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च (Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025) को मनाई जाएगी। ऐसे में इस दिन बप्पा की विधिवत पूजा करें और उनका ध्यान करें।

चतुर्थी व्रत बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। चतुर्थी एक महीने में दो बार कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में आती है। विनायक चतुर्थी शुक्ल पक्ष के दौरान और संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष के दौरान आती है। हर संकष्टी चतुर्थी का अपना अलग नाम और महत्व है। इस बार भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी चैत्र माह के कृष्ण पक्ष यानी 17 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। कहते हैं कि इस दिन (Bhalchandra Sankashti Chaturthi 2025) भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। साथ ही घर में शुभता है, तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 2025 कब है? (Sankashti Chaturthi 2025 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 मार्च को रात 07 बजकर 33 मिनट पर होगी। वहीं इसकी समाप्ति 18 मार्च को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी। इस दिन चंद्रोदय के समय पूजा का विधान है। ऐसे में 17 मार्च को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

पूजा विधि (Bhalchandra Sankasthi Chaturthi 2025 Puja Vidhi)
सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
अपने घर और पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ करें।
एक चौकी लें उसपर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
देसी घी का दीपक जलाएं, पीले फूलों की माला अर्पित करें।
तिलक लगाएं, मोदक या मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं।
फिर दूर्वा घास अर्पित करें।
गणेश जी के इस मंत्र ”ॐ भालचंद्राय नमः” का 108 बार जाप करें।
भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
आखिरी में भव्य आरती करें।
भगवान गणेश का आशीर्वाद लें और जीवन से सभी कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें।
पूजा पूरी होने के बाद घर व अन्य लोगों में प्रसाद बांटें।

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