10 हजार किलो गन्ने से लदी ट्रॉली कीचड़ में धंसी और कोई मदद नहीं…फिर मजदूरों ने कर दिया नामुमकिन को मुमकिन!
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यह ज़ोर लगाओ, धक्का मारो, एक.. दो.. तीन.. और हुप. ऐसा नज़ारा किसी फिल्म के क्लाइमैक्स सीन में दिखे, तो थिएटर में तालियां गूंज उठें, लेकिन ये कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि सच्ची घटना है, जहां 17 मज़दूरों की हिम्मत और एकता ने 10 टन गन्ने से लदी ट्रॉली को कीचड़ के दलदल से बाहर निकाल फेंका.
दरअसल, गन्ना काटने वाले मज़दूरों ने एकता का परिचय देते हुए 10 टन यानी 10,000 किलोग्राम (kg) गन्ने से भरी ट्रैक्टर-ट्रॉली को 17 लोगों की ताकत से खींचकर बाहर निकाला. यह अनोखी घटना सांगली के कडेगांव तालुका के वाजेगांव में हुई. उदगीर शुगर एंड पावर लिमिटेड, पारे बामणी शुगर फैक्ट्री बंद होने के कुछ घंटे पहले यह रोमांचक दृश्य देखने को मिला. फैक्ट्री बंद होने के कारण किसानों को अपना गन्ना समय पर पेराई के लिए पहुंचाने की जल्दी थी.
जानिए पूरा मामला?
वाजेगांव के किसान गंगाधर भिकाजी पाटणकर के खेत में गन्ना काटने का काम पूरा हो चुका था, लेकिन 10 टन गन्ने से भरी ट्रॉली खेत में फंस गई, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई. दोपहर 12 बजे तक ट्रैक्टर को फैक्ट्री के यार्ड में पहुंचाना जरूरी था. सुबह के समय दूसरे ट्रैक्टर की मदद से ट्रॉली को बाहर निकालने का विचार था. लेकिन, दूसरा ट्रैक्टर उपलब्ध न होने के कारण 17 गन्ना काटने वाले मज़दूरों ने मिलकर ट्रैक्टर को खींचकर बाहर निकाला.
एकता और मज़दूरों की जिद्द
फैक्ट्री के कर्मचारी सचिन कोली, गन्ना काटने वाले मज़दूर और किसानों ने मिलकर ट्रैक्टर को खींचने का प्रयास किया. दिघंची के ट्रैक्टर मालिक और चालक अमोल श्रीमंत पुजारी ने भी इस प्रयास में हिस्सा लिया. ट्रैक्टर की ताकत और मज़दूरों की मेहनत से गन्ने से भरी ट्रॉली को बाहर निकालने में आखिरकार सफलता मिली. यह घटना गन्ना काटने वाले मज़दूरों की जिद्द, मेहनत और संगठन शक्ति का उत्कृष्ट उदाहरण बनी.