यूपी: बिजली कर्मियों का अधिवेशन कल, डिप्टी सीएम होंगे शामिल

यूपी में बिजली के निजीकरण की बातों के बीच बिजली कर्मियों का अधिवेशन रविवार को होगा। इस कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक शामिल होंगे।

विद्युत कर्मचारी मोर्चा संगठन के तत्वावधान में रविवार को बिजलीकर्मियों के 45वें वार्षिक अधिवेशन का आयोजन किया गया है। इस अधिवेशन का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक उद्घाटन करेंगे और मुख्य अतिथि जल शक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह होंगे। यह जानकारी संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष चंद प्रकाश अवस्थी बब्बू ने प्रेसवार्ता में दी।

उन्होंने पत्रकारों को बताया कि साल 2000 में इस दावे के साथ बिजली विभाग को तीन भागों में बांटा गया था कि व्यवस्था एवं उपभोक्ता सेवा में सुधार होगा। मगर, बंंटवारे के बाद पूरी तरह से बंटाधार हो गया है। पावर कॉरपोरेशन कर्ज के बोझ से पूरी तरह दबता चला जा रहा है। उन्होंने कहा कि अधिवेशन में निजीकरण एवं घाटे के कारणों, लखनऊ के सेस कर्मियों को पेंशन देने, 1.60 लाख पदों पर संविदा एवं निविदा कर्मियों को नियमित करने और पूर्व में हुए समझौतों को लागू करने पर चर्चा और आंदोलन की रूपरेखा तय होगी।

उन्होंने कहा कि विभागीय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए संगठन की ओर से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। अधिवेशन में प्रदेशभर से कर्मचारी शिरकत करेंगे। प्रेसवार्ता में कार्यकारी अध्यक्ष नवीन गौतम, कार्यवाहक अध्यक्ष मोहनजी श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष एके माथुर एवं मीडिया प्रभारी अजय अवस्थी आदि की उपस्थित रही।

निजीकरण का फैसला वापस होने तक जारी रहेगा आंदोलन
पूर्वांचल और दक्षिणांचल को लेकर चल रहा विरोध प्रदर्शन शनिवार को भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने एलान किया है कि जब तक निजीकरण का फैसला वापस नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा। शुक्रवार को शक्ति भवन सहित विभिन्न कार्यालयों पर विरोध प्रदर्शन हुआ। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि आगरा में निजी कंपनी को बिजली देने में ही अब तक 2434 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है।

पावर काॅरपोरेशन 05.55 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली खरीद कर टोरेंट पावर कंपनी को 04.36 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली देता है। वर्ष 2023-24 में पावर कॉरपोरेशन द्वारा टोरंटो को दी गई बिजली से करीब 274 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। आगरा के साथ कानपुर शहर की बिजली व्यवस्था भी टोरेंट पावर कंपनी को सौंपने का निर्णय हुआ था। केस्को के बिजली कर्मियों के संघर्ष के चलते ऐसा नहीं हुआ। 14 साल बाद स्थिति यह है कि केस्को की ए टी एंड सी हानियां 09.6 फीसदी हैं, जबकि आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की हानियां 09.82 फीसदी हैं।

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