एक बिल्ली, दो मालिक…फॉरेंसिक जांच से पता किया जाएगा कौन है असली ओनर!

नलगोंडा जिले के रहमत नगर में रहने वाली पुष्पलता के लिए एक महीने की बिल्ली का गायब होना किसी हादसे से कम नहीं था. यह बिल्ली, जिसका नाम पफी था, पुष्पलता की नज़र में एक प्यारी दोस्त जैसी थी. पिछले तीन सालों से वह पफी को अपनी आंखों की तरह संभाल रही थी. लेकिन जून महीने में अचानक पफी गायब हो गई और यह घटना पुष्पलता के लिए एक बड़ा झटका बन गई. इसके बाद, उसने इस मामले को लेकर टू टाउन पुलिस स्टेशन में मिसिंग केस दर्ज कराया.

बिल्ली की अचानक वापसी 
काफी समय बाद, पफी उसी गली में वापस दिखाई दी, जहां वह पहले रहती थी. इस स्थिति ने मामला और जटिल बना दिया. पुष्पलता का आरोप था कि अशरफ ने उसकी बिल्ली को पहचानने से बचने के लिए उसे रंग दिया है. हालांकि, अशरफ का परिवार इस बात को नकारते हुए कह रहा है कि यह बिल्ली उनकी है और उन्होंने इसे 3,500 रुपये में खरीदा था.

पुलिस की जांच और फॉरेंसिक रिपोर्ट
शुरुआत में पुलिस ने इस मामले को हल्के में लिया, लेकिन जैसे ही मामला एसपी तक पहुंचा, पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. एसपी के आदेश पर पुलिस ने बिल्ली के बालों के नमूने फॉरेंसिक लैब भेजे हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह बिल्ली किसकी है और क्या उसे रंगा गया है. फिलहाल इस मामले की जांच तेजी से चल रही है और पुलिस की कोशिश है कि जल्दी से जल्दी इस उलझे हुए मामले को सुलझा लिया जाए.

लैब रिपोर्ट से मिलेगा असली सच
अब सबकी नज़रें लैब रिपोर्ट पर टिकी हैं. क्या सच में पुष्पलता का आरोप सही है कि बिल्ली को रंगा गया है? या फिर अशरफ का दावा सही है कि बिल्ली का जन्म से यही रंग था? इन सवालों का जवाब जल्द ही लैब रिपोर्ट से मिलेगा. फिलहाल पफी अशरफ के परिवार के पास है, और पुष्पलता का कहना है कि लैब रिजल्ट में जीत उसकी ही होगी. वहीं, अशरफ का परिवार भी इस मामले में पीछे हटने को तैयार नहीं है.

पुलिस के लिए सिरदर्द बना मामला
कुल मिलाकर, यह मामला पुलिस के लिए एक बड़ा सिरदर्द बन गया है. न केवल यह बिल्ली के मालिक को लेकर है, बल्कि यह अब एक निजी विवाद भी बन चुका है. पुलिस की पूरी टीम इस मामले में जांच करने में जुटी हुई है, ताकि जल्द से जल्द इसे हल किया जा सके.

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