हमास पर फिर आगबबूला हुए ट्रंप; क्या गाजा में फिर से शुरू होगा युद्ध?

 अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने इजरायल-हमास युद्ध विराम को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर शनिवार तक गाजा में मौजूद सभी बंधकों की रिहाई नहीं हुई तो फिर से इजरायली सेना हमास पर हमला कर सकता है। इसके बाद ‘सब कुछ नरक’ बन जाएगा।

ओवल ऑफिस में संवाददाताओं से ट्रंप ने कहा कि वह इस बात का निर्णय इजरायल को लेने देंगे कि युद्ध विराम का अंततः क्या होना चाहिए। लेकिन यदि शनिवार दोपहर 12 बजे तक सभी बंधकों को वापसी नहीं हुई तो मैं कहूंगा कि युद्धविराम रद कर दिया जाए।

ट्रंप ने आगे कहा,”मैं डेडलाइन को लेकर प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से बातचीत करूंगा।”  वहीं,  जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या गाजा और मिस्र को दी जाने वाली सहायता पर रोक लगा दी जाएगी तो उन्होंने कहा कि हो सकता है।  

हमास ने इजरायल पर लगाया युद्धविराम उल्लंघन का आरोप

बता दें कि हमास का आरोप है कि इजरायल सीजफायर समझौते का उल्लंघन कर रहा है। हमास सैन्य शाखा के प्रवक्ता अबू उबैदा ने कहा कि शनिवार को होने वाली अगली निर्धारित बंधक रिहाई तब तक स्थगित रहेगी, जब तक कि इजरायल सीजफायर समझौते का पालन नहीं करता।

मिस्र के दो सुरक्षा सूत्रों ने सोमवार को समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि मध्यस्थों को युद्ध विराम समझौते के टूटने का डर है। कतर और मिस्र ने अमेरिका के साथ मिलकर इस समझौते की मध्यस्थता की है। जानकारी के मुताबिक, अभी भी 73 लोग अभी भी हमास के बंधक में हैं।

गाजा पट्टी में लौटना फलस्तीनियों का अधिकार नहीं: ट्रंप

हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि गाजा पट्टी का पुनर्विकास किया जाएगा। इसे दोबारा बसाने में कई वर्ष लगेंगे। ट्रंप ने कहा कि हमारे प्रस्ताव के तहत फलस्तीनियों को गाजा पट्टी में लौटने का अधिकार नहीं होगा। ट्रंप, फलस्तीनियों को आसपास के देशों में बसाना चाहते हैं।उन्होंने कहा कि फलस्तीनियों को लेने के लिए जॉर्डन और मिस्र के साथ हम एक समझौता कर सकते हैं। गाजा को लेकर ट्रंप के प्लान पर सऊदी अरब सहित यूरोपियन यूनियन के कई देशों ने चिंता जाहिर की है।  

ट्रंप के इस फैसले से 18 लाख फिलिस्तीनियों पर गाजा से बाहर होने का खतरा मंडराने लगा है। ट्रंप इस क्षेत्र को सैनिकों की मदद से अपने कब्जे में लेकर इसका विकास करना चाहते हैं। ट्रंप ऐसा करते हैं तो उनका यह कदम इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष के प्रति अमेरिका की दशकों पुरानी नीति से एकदम विपरीत होगा।

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