गुजरात में यहां बच्चे कर रहे खुद का बिजनेस, 6 महीनों में 8 लाख रुपये कमाने वाले स्टूडेंट्स की कहानी
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आजकल शिक्षा का उद्देश्य नौकरी पाना बन गया है. अच्छी नौकरी पाने के लिए लोग कड़ी मेहनत करते हैं, लेकिन अमरेली जिले में स्थित डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल में छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ बिजनेस भी सिखाया जाता है. यहां के छात्र स्कूल की फीस और परिवार की आर्थिक मदद कर रहे हैं. छात्रों ने छह महीनों में छह लाख रुपये की कमाई की है. आइए जानते हैं इस स्कूल के बारे में…
स्कूल की फीस भरकर परिवार की मदद करते हैं
डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल में कक्षा नौ में पढ़ने वाले गैलानी व्रज ने बताया, “मैं होस्टल में रहकर पढ़ाई करता हूं. मेरे पिता खेती का काम करते हैं. स्कूल में सुबह 7:30 से 12:30 तक पढ़ाई होती है. इसके बाद दोपहर का समय खाली होता है. इस समय में हम काम करते हैं और इससे हमें आय होती है. स्कूल के 16 छात्रों ने केवाईसी स्टूडियो (KYC Studio) बनाया है, जिसमें लेजर कटिंग मशीन, प्रिंटिंग मशीन आदि हैं. इन मशीनों से हम विभिन्न वस्तुएं बनाते हैं, जैसे लेडीज पर्स, बुक, डायरी, शो पीस, मोबाइल स्टैंड, मोबाइल किचन आदि. इन वस्तुओं को बेचकर हम स्कूल की फीस भरते हैं और परिवार की मदद करते हैं.”
अब तक 35 हजार की कमाई की
गिर गढ़डा गांव के और कक्षा नौ में पढ़ने वाले वाघेला अश्केश लखमनभाई ने बताया, “मेरे पिता गैराज का काम करते हैं. उनसे प्रेरणा लेकर मैं कलाम इनोवेटिव स्कूल के केवाईसी ग्रुप में शामिल हुआ. केवाईसी स्टूडियो में हम विभिन्न वस्तुएं बनाते हैं और उन्हें बेचते हैं. अब तक मैंने 30 हजार से 35 हजार रुपये की कमाई की है.”
फीस भरने के लिए पिता ने बाइक बेची
डॉ. कलाम इनोवेटिव स्कूल के संस्थापक जय काठरोटिया ने बताया, “हम पिछले दो साल से इस स्कूल को चला रहे हैं. पिछले साल एक छात्र के पिता ने 40,000 रुपये की फीस भरने के लिए अपनी बाइक बेच दी थी. यह सुनकर हमें दुख हुआ और हमने सोचा कि छात्रों को अपने माता-पिता की मदद कैसे करनी चाहिए. इसके बाद हमने स्कूल में स्टार्टअप स्टूडियो बनाने का निर्णय लिया. इस स्टूडियो में छात्र होस्टल में रहकर पढ़ाई और खेलकूद के बाद अतिरिक्त समय में काम करते हैं और विभिन्न वस्तुएं बनाते हैं.”
आठ लाख रुपये तक की कमाई
जय काठरोटिया ने आगे बताया, “छात्र इस स्टार्टअप स्टूडियो में काम कर सकें, इसके लिए हमने लेजर कटिंग, मग प्रिंटिंग जैसी विभिन्न मशीनें विकसित की हैं. दो छात्रों ने काम शुरू किया था और अब 18 छात्र काम कर रहे हैं. B2B और B2C मार्केट में स्टूडियो में तैयार की गई वस्तुओं का बिक्री करते हैं. पिछले छह से आठ महीनों में छात्रों ने छह लाख से आठ लाख रुपये की कमाई की है.”
भविष्य में कई छात्र अच्छे बिजनेसी बनेंगे
उन्होंने आगे बताया, “माता-पिता के प्रति संवेदना से लेकर छात्रों की सृजनशीलता (Creativity) तक की इस यात्रा को सफलता मिली है. इस स्टार्टअप से कई छात्र भविष्य में बिजनेस कर सकेंगे और अपने माता-पिता को आर्थिक संकट से बाहर निकालेंगे. छोटी उम्र में छात्र बिजनेस सीख रहे हैं और रुपये कैसे कमाए जा सकते हैं, यह सभी छात्र सीख रहे हैं. 13 से 15 साल के छात्र अपने माता-पिता की आर्थिक मदद कर रहे हैं.”