वैभव लक्ष्मी व्रत पर शिववास समेत बन रहे हैं कई संयोग

धार्मिक मत है कि वैभव लक्ष्मी व्रत के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जा रही है। आइए पंडित हर्षित शर्मा जी से आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 31 January 2025) जानते हैं-

वैदिक पंचांग के अनुसार, आज यानी शुक्रवार 31 जनवरी को माघ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया एवं तृतीया है। शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी की पूजा की जा रही है। साथ ही वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से धन की तंगी दूर होती है।

माघ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर वरीयान योग का संयोग बन रहा है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। आइए, पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं। आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।

आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 31 January 2025)

सूर्योदय – सुबह 07 बजकर 10 मिनट पर

सूर्यास्त – शाम 06 बजे

चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 28 मिनट पर

चन्द्रास्त- सुबह 08 बजकर 28 मिनट पर

शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 05 बजकर 24 मिनट से 06 बजकर 17 मिनट तक

विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 06 मिनट तक

गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 57 मिनट से 06 बजकर 24 मिनट तक

निशिता मुहूर्त – देर रात 12 बजकर 08 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक

अशुभ समय
राहुकाल – सुबह 11 बजकर 13 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

गुलिक काल – सुबह 08 बजकर 31 मिनट से 09 बजकर 52 मिनट तक

दिशा शूल – पूर्व

अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती

चन्द्रबल
मेष, वृषभ, सिंह, कन्या, धनु, कुम्भ

शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो माघ के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही शतभिषा नक्षत्र का भी संयोग है। इस योग में मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। साथ ही हर शुभ काम में सफलता मिलेगी।

इन मंत्रो का करें जप

या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी।
या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥
या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी।
सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती ॥
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं त्रिभुवन महालक्ष्म्यै अस्मांक दारिद्र्य नाशय प्रचुर धन देहि देहि क्लीं ह्रीं श्रीं ॐ ।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ ।।
ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
ॐ ह्रीं क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी नृसिंहाय नमः ।
ॐ क्लीन क्ष्रौं श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः ।।

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